प्रतिबंध के बावजूद हजारों बाल विवाह, सबसे ज्यादा कर्नाटक में
Child Marriage: बाल विवाह को लेकर एक रिपोर्ट् सामने आई है जिसमें कहा गया है कि कर्णाटक में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले आये हैं।
Child Marriage: भारत में बाल विवाह पर प्रतिबंध के बावजूद 2022 में देश में 1,000 से अधिक ऐसे विवाह होने की सूचना मिली है। सबसे ज्यादस 215 बाल विवाह कर्नाटक में हुए। यह जानकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट में दी गई है। कर्नाटक के बाद असम का स्थान है। जहां 163 बाल विवाह हुए। कर्नाटक और असम के बाद तमिलनाडु का स्थान है, जहां 2022 में 155 बाल विवाह दर्ज किए गए। अन्य राज्य हैं पश्चिम बंगाल (121), महाराष्ट्र (99), तेलंगाना (53), ओडिशा (46), हरियाणा (37), आंध्र प्रदेश (26), उत्तर प्रदेश (17), बिहार (13), जम्मू और कश्मीर (2), और दिल्ली (1)।
लाखों नाबालिग बालिकाओं की शादी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले भारत में, 18 वर्ष से कम आयु की अनुमानित 15 लाख लड़कियों की हर साल शादी होती है। जिसमें 15-19 वर्ष की आयु की लगभग 16 फीसदी किशोरियाँ वर्तमान में विवाहित हैं। 2005-2006 और 2015-2016 के बीच बाल विवाह प्रचलन में 47 फीसदी से 27 फीसदी की कमी के बावजूद, बाल विवाह काफी प्रचलित है। 600 से अधिक पृष्ठों की रिपोर्ट में कहा गया है कि "सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित बाल विवाह, व्यापक लैंगिक असमानता और भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है, जो लड़कियों के मानवाधिकारों के अवमूल्यन को दर्शाता है।"
एनसीपीसीआर ने राज्यों से उन बच्चों की पहचान करने को भी कहा हुआ है जो स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूल नहीं जाते हैं या नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते हैं। उन्होंने अधिकारियों से उन स्कूलों की मैपिंग करने को भी कहा जहां बच्चे बिना सूचना के अनुपस्थित रहते हैं। इसका उद्देश्य जोखिम में पड़े बच्चों की पहचान करना और उनकी संभावित शादी को रोकना है। जबकि 11,49,023 बच्चों की पहचान की गई, 6,16,897 स्कूलों की मैपिंग की गई है।280,289 गांवों और ब्लॉकों को लक्षित किया गया जहां जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जिससे उन्हें हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार का जोखिम बढ़ जाता है।
लड़कियों पर ज्यादा असर
हालांकि यह सबको प्रभावित करता है, लेकिन लड़कियों पर इसका असमान रूप से असर पड़ता है। इसमें 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का विवाह शामिल है, जिसमें औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह के विवाह शामिल हैं, जहां नाबालिग विवाहित की तरह सहवास करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह बच्चों को उनके बचपन से वंचित करता है तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिसके व्यक्ति, परिवार और समुदाय पर दूरगामी परिणाम होते हैं।"
दूरगामी परिणाम
इसमें कहा गया है कि बचपन में शादी करने वाली लड़कियों को शिक्षा, वित्तीय स्वतंत्रता और सामुदायिक भागीदारी में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें घरेलू हिंसा, एचआईवी/एड्स और समय से पहले बच्चे पैदा करने से होने वाली जटिलताओं का अधिक जोखिम होता है। इससे प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव पड़ता है और पीढ़ियों के बीच गरीबी का चक्र चलता रहता है। समय से पहले शादी करने से परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने और राष्ट्रीय सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने में बाधा आती है। इसके अलावा, समय से पहले बच्चे पैदा करने के कारण परिवारों पर वित्तीय बोझ पड़ता है। बाल विवाह से निपटने के लिए अपर्याप्त संसाधन आवंटन आंशिक रूप से इसके उन्मूलन के लिए एक आकर्षक आर्थिक तर्क की अनुपस्थिति के कारण है।