कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार को मिला बहुमत, स्पीकर ने अपने पद से दिया इस्तीफा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने ध्वनि मत के जरिए विश्वास प्रस्ताव जीत कर विधानसभा में सोमवार को अपना बहुमत साबित किया। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
नई दिल्ली : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने ध्वनि मत के जरिए विश्वास प्रस्ताव जीत कर विधानसभा में सोमवार को अपना बहुमत साबित किया। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ 26 जुलाई को ली थी। विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि जब सिद्धारमैया और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे, तब मैं किसी भी तरह से बदले की राजनीति में शामिल नहीं रहा। प्रशासनिक व्यवस्थाएं नाकाम हो चुकी थीं, हम सिर्फ अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। विरोध करने वालों से भी कोई बैर नहीं। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा के साथ कभी जनादेश नहीं रहा। इसके साथ ही लोकसभा स्पीकर के आर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
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बता दें कि जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और कांग्रेस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद बहुमत का आंकड़ा 105 रह गया है। अकेले बीजेपी के पास यह आंकड़ा मौजूद है। ऐसे में येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने में कोई मुश्किल नहीं होनी चाहिए। वहीं स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला कर चुके बागी विधायक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अयोग्य करार दिए गए बागी विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से कहा कि वे अपनी पार्टी और बीजेपी, दोनों से ही ठगे गए। बीजेपी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद देने का सपना दिखाया था, लेकिन उनके साथ सबसे बड़ा खेल स्पीकर ने किया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। लिहाजा, उन्हें विधानसभा की सदस्यता से ही हाथ धोना पड़ा। यही नहीं वह 2023 तक कोई उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्पीकर के आर रमेश कुमार को बीएस येदियुरप्पा के सोमवार को विश्वास मत साबित करने से पहले स्पीकर का पद खाली करने का संदेश दिया गया है। बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा, 'अगर स्पीकर स्वयं इस्तीफा नहीं देते हैं तो हम उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। हमारा पहला एजेंडा विश्वास मत जीतना और फाइनेंस बिल को पास करना है। हम स्पीकर के खुद इस्तीफा देने का इंतजार करेंगे।'
अयोग्य करार दिए गए विधायकों के पास पहला ऑप्शन सुप्रीम कोर्ट जाने का है। कोर्ट ने विधायकों को सदन से दूर रहने की इजाजत दी थी। ऐसे में विधायक विश्वनाथ का कहना है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए सदन से उनकी सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती।
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ऐसे में अब यह देखना होगा कि नई येदियुरप्पा सरकार विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर पाती है या नहीं, यदि येदियुरप्पा बहुमत साबित कर पाएंगे तो सत्ता में बने रहेंगे नही फिर कर्नाटक का सियासी नाटक कुछ दिनों के लिए बना रहेगा।