देशभर में आज महाहड़ताल, बैंक बंद, 18 करोड़ केंद्रीय कर्मी नहीं जाएंगे दफ्तर

Update:2016-09-02 00:13 IST

नई दिल्लीः वामदलों की समर्थित यूनियनों ने आज महाहड़ताल का ऐलान किया है। केंद्र सरकार की कामगार संबंधी नीति के खिलाफ ये हड़ताल हो रही है। हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के 6 बैंकों के कर्मचारी भी शामिल होंगे। ऐसे में बैंकों के साथ फैक्टरियां और केंद्र सरकार के तमाम दफ्तरों में आज कामकाज होने की उम्मीद न के बराबर है।

किन मुद्दों पर हो रही महाहड़ताल?

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि पहली श्रेणी के शहरों के लिए सरकार ने अकुशल कारीगरों की कम से कम मजदूरी में 20 फीसदी इजाफा किया है, जो कम है। बता दें कि इससे ऐसे कामगारों को हर महीने 12 हजार रुपए ही तनख्वाह मिल सकेगी। यूनियनों ने इसके अलावा कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और 18 हजार के न्यूनतम वेतन की मांग की है। साथ ही असंगठित क्षेत्र के कारीगरों समेत सभी वर्गों के लिए न्यूनतम पेंशन भी बढ़ाकर तीन हजार रुपए हर महीने करने को लेकर भी हड़ताल का ऐलान किया गया है। ट्रेड यूनियनें रेलवे, रक्षा और अन्य कई क्षेत्रों से एफडीआई (विदेशी निवेश) हटाने की मांग पर भी जोर डाल रहे हैं।

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18 करोड़ कर्मचारी हड़ताल पर

ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आज के हड़ताल में केंद्र सरकार के 18 करोड़ कर्मचारी हिस्सा लेंगे। पिछले साल हुई हड़ताल में 14 करोड़ कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था। केंद्र सरकार के कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, ऑयल इंडिया, एचएएल और बीएचईएल के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे। आरएसएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल से खुद को अलग रखा है।

इस हड़ताल का क्‍या होगा असर?

बैंकों के कर्मचारी आज महाहड़ताल पर हैं। इससे देशभर में बैंकिंग सेवाओं के प्रभावित होने के आसार हैं। महाहड़ताल से बैंकिंग सेवाओं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और दूरसंचार पर सबसे ज्यादा असर पड़ने के आसार हैं। दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद में ऑटो चालकों की कई यूनियनों ने भी हड़ताल में हिस्सा लेने का फैसला किया है। ऐसे में लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कामकाज नहीं होगा, लेकिन प्राइवेट बैंक खुले रहेंगे। राहत की बात ये है कि रेलवे कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे हैं।

मोदी सरकार ने क्या कदम उठाया?

सरकार ने इस महाहड़ताल को टालने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह फिलहाल नाकाम दिख रही है। मोदी सरकार ने यूनियनों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए गैर कृषि क्षेत्र के मजदूरों का न्यूनतम वेतन भी 246 रुपए से बढ़ाकर हर रोज 350 रुपए करने का ऐलान किया था। साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों को दो साल का बोनस देने की भी घोषणा की थी। बावजूद इसके वामपंथी ट्रेड यूनियनों को हड़ताल टालने के लिए वह राजी नहीं कर सकी।

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