उषा उथुप को जूतों से मिली प्रेरणा, इसलिए रचा 'राग दलित कल्याण'
उषा उथुप का मेहनत करने वालों के प्रति सम्मान दिखाने का अपना एक अलग ही तरीका है। यही वजह है कि उन्होंने बिहार के दो मोची भाइयों मिस्त्री दास और सुशील दास के काम और लगन को देखकर एक नए राग 'राग दलित कल्याण' की रचना की है।
पटना: उषा उथुप का मेहनत करने वालों के प्रति सम्मान दिखाने का अपना एक अलग ही तरीका है। यही वजह है कि उन्होंने बिहार के दो मोची भाइयों मिस्त्री दास और सुशील दास के काम और लगन को देखकर एक नए राग 'राग दलित कल्याण' की रचना की है। बता दें, हैदराबाद में एक फाउंडेशन के 'मेगा म्यूजिक शो' में उषा उथुप ने अपने इस नए राग को प्रस्तुत किया।
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यही नहीं, उषा ने तो 'शूज डिजाइनिंग' की लाइव प्रस्तुति भी दी थी। दरअसल, अपने राग की मदद से उषा दोनों भाईयों की कला को प्रमोट करने का काम कर रही हैं। इसके अलावा उषा उथुप ने 'शूज इन ए साड़ी' ब्रांड के जरिये उनके द्वारा बनाए गए जूतों का अपने इष्ट-मित्रों के बीच प्रचार किया।
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आपको बता दें कि मिस्त्री दास और सुशील दास मूल रूप से बिहार के नवादा के पकड़ी बडग़ामा थाना क्षेत्र के जुड़ी गांव के रहने वाले हैं लेकिन फ़िलहाल वह कोलकाता में रह रहे हैं। यहां वह दोनों पिछले 24-25 वर्षों से सड़क पर काम कर रहे हैं। मोची आमतौर पर सब एक जैसा ही काम करते हैं लेकिन इन दोनों भाइयों की एक खासियत है।
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ख़ास बात ये है कि अगर आप इनके पास कोई ख़राब जूता सही करवाने के लिए लायेंगे तो ये भाई आपको उनपर कपड़ों का कवर लगा देते हैं। अपने नए जूतों को देखकर आपको लगेगा कि आपके जूतों ने साड़ी पहन रखी हो। ऐसे में उषा को दोनों भाइयों की ये डिजाइन पसंद आई। यही नहीं, उन भाइयों द्वारा बनाए गए जूते आम लोग भी पसंद कर रहे हैं। खुद उषा उथुप इनके जूते इस्तेमाल करती हैं।