नई दिल्ली: केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को संपूर्ण बीमा ग्राम (एसबीजी) योजना और डाक जीवन बीमा के ग्राहकों की संख्या बढ़ाने की पहल का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को किफायती जीवन बीमा सेवाएं प्रदान करने के लिए डाक नेटवर्क के जरिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के विचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सिन्हा ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आने वाले सभी गांव इसकी सीमा में लाए जायेंगे।
मंत्री ने कहा कि संपूर्ण बीमा ग्राम (एसबीजी) योजना के तहत देश के प्रत्येक राजस्व जिलों में कम से कम एक गांव (न्यूनतम 100 आवास के) को चिन्हित किया जाएगा। जबकि प्रत्येक पॉलिसी की कम से कम एक आरपीएलआई (ग्रामीण डाक जीवन बीमा) के साथ चिन्हित गांव के सभी घरों को कवर करने का प्रयास किया जाएगा। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य संपूर्ण बीमा ग्राम के लिए चिन्हित गांव के सभी आवासों को कवर करना है।
सिन्हा ने कहा कि डाक जीवन बीमा (पीएलआई) के ग्राहकों की संख्या बढ़ाने की योजना के अंतर्गत अब यह निर्णय लिया गया है कि पीएलआई के लाभ केवल सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं होंगे बल्कि यह डॉक्टरों, इंजीनियरों, प्रबंधन सलाहकारों, चार्टटेड एकाउंटेंट, वास्तुकारों, वकीलों, बैंक कर्मियों जैसे पेशेवरों और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) तथा बीएसई (बम्बई स्टॉक एक्सचेंज) के कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध होंगे। यह फैसला सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने और अधिकतम संख्या में लोगों को डाक जीवन बीमा (पीएलआई) के तहत लाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि निजी बीमा की तुलना में डाक पॉलिसियों का बीमा शुल्क कम और लाभांश अधिक है।
मंत्री ने कहा कि डाक जीवन बीमा (पीएलआई) व ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) से लोगों का जीवन सुरक्षित होने के साथ ही वित्तीय समेकन भी बढ़ेगा। 1884 में शुरू किया गया डाक जीवन बीमा (पीएलआई) सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों के लाभ के लिए सबसे पुरानी बीमा योजनाओं में से एक है।
मल्होत्रा समिति की सिफारिशों पर 24 मार्च, 1995 को शुरू किये गये ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों विशेष रूप से इन क्षेत्रों में रहने वाले वंचित वर्गो और महिलाओं को बीमा कवर प्रदान किया जाता है। कम बीमा शुल्क और उच्च लाभांश पीएलआई और आरपीएलआई योजनाओं का महत्वपूर्ण पहलू है। 31 मार्च, 2017 तक देश भर में 46.8 लाख पीएलआई और 146.8 लाख आरपीएलआई पॉलिसी धारक थे।
वर्ष 2000 में बीमा क्षेत्र के उदारीकरण के बाद से देश के बीमा उद्योग में काफी बदलाव आया है और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) का गठन किया गया है। ऐसे प्रतिस्पर्धी माहौल में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)/ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) को स्वयं को दोबारा परिभाषित करना अत्यंत जरूरी है।
-- आईएएनएस