SpaDeX Docking: अंतरिक्ष में माइलस्टोन, जानिये क्या है भारत की स्पेडेक्स डॉकिंग

SpaDeX Docking: ISRO द्वारा स्पेस डॉकिंग परीक्षण के लिए स्पेडेक्स के जुड़वां उपग्रहों को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-12-31 11:20 IST

SpaDeX Docking

SpaDeX Docking: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के रोमांचक मिशन स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) का सफल प्रक्षेपण होने के साथ अब भारत स्पेडेक्स के जरिये अंतरिक्ष में दो छोटे उपग्रहों को डॉक और अनडॉक करने की क्षमता का परीक्षण करने के लिए तैयार है। यह प्रयोग 7 जनवरी को होने की उम्मीद है। जानते हैं कि स्पेस डॉकिंग वास्तव में क्या है और यह भारत के लिए इतनी बड़ी बात क्यों है?

स्पेस डॉकिंग

डॉकिंग एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें दो अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करते समय आपस में जुड़ते हैं। इस तकनीक में महारत हासिल करने से भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ अंतरिक्ष डॉकिंग करने में सक्षम चौथा देश बन जाएगा। अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए एक सस्ती और प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

अंतरिक्ष डॉकिंग महत्वपूर्ण क्यों है

- स्पेडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसका प्राथमिक लक्ष्य दो डॉक किए गए उपग्रहों के बीच विद्युत शक्ति के हस्तांतरण का प्रदर्शन करना है। यह क्षमता भविष्य की अंतरिक्ष परियोजनाओं, जैसे रोबोटिक मिशन और भारत के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए जरूरी है।

- डॉकिंग तकनीक भविष्य के कई मिशनों को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उदाहरण के लिए, एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के लिए पृथ्वी की कक्षा में विभिन्न कंपोनेंट्स को जोड़ने की जरूरत होती है। इसी तरह चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारना, नमूने एकत्र करना तथा अन्य जटिल कार्य भी इस तकनीक से आसान हो जाएंगे।


- डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब एक ही मिशन के लक्ष्यों के लिए कई रॉकेटों को एक साथ काम करने की जरूरत होगी।

- मंगल या उससे आगे के लम्बे मिशनों के लिए ऐसे अंतरिक्ष यान की जरूरत होगी जिन्हें अंतरिक्ष में इकट्ठा किया जा सके और ईंधन भरा जा सके।

- स्पेडेक्स सेंसर, सॉफ्टवेयर और डॉकिंग विधियों में सुधार करके भविष्य के मिशनों की सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।

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- डॉकिंग में महारत हासिल करने से ग्लोबल अंतरिक्ष प्रोग्रामों में भारत की स्थिति न केवल मजबूत होगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसकी बढ़ती क्षमताओं को भी उजागर करेगी।


स्पैडेक्स की डॉकिंग

- इसरो ने घोषणा की है कि पीएसएलवी रॉकेट पर सवार दो अंतरिक्ष यान, स्पेसक्राफ्ट ए और स्पेसक्राफ्ट बी को 5 किमी की दूरी पर एक कक्षा में रखा जाएगा। प्रक्षेपण के बाद अगले 10 से 14 दिनों में, इसरो के वैज्ञानिक पृथ्वी से लगभग 470 किमी की ऊँचाई पर उन्हें मिलाने का प्रयास करने से पहले उन्हें करीब लाने के लिए काम करेंगे।

- अंतरिक्ष यान ए एक हाई रिज़ॉल्यूशन कैमरा से लैस है, जबकि अंतरिक्ष यान बी एक मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और एक रेडिएशन मॉनिटर पेलोड ले गया है। ये उपकरण हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींचेंगे, प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी करेंगे और अन्य कार्यों के अलावा वनस्पति अध्ययन करेंगे।

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