क्या है करतारपुर कॉरिडोर समझौता, जिसे 5 साल के लिए बढ़ाया गया

Kartarpur Corridor : भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को संचालित करने के लिए समझौते की वैधता अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-23 15:59 IST

Kartarpur Corridor : भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को संचालित करने के लिए समझौते की वैधता अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। इससे भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर के माध्यम से भारत से गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर, नरोवाल, पाकिस्तान की यात्रा की सुविधा के लिए 24 अक्टूबर 2019 को हस्ताक्षरित समझौता पांच साल की अवधि के लिए वैध था। अब 2029 तक समझौते के नवीनीकरण से "भारत से तीर्थयात्रियों द्वारा पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारा जाने के लिए कॉरिडोर के निर्बाध संचालन की सुविधा मिलेगी। भारत ने पाकिस्तान से तीर्थयात्रियों पर 20 डॉलर (1682 रुपये) का सेवा शुल्क नहीं लगाने का आग्रह किया है।

करतारपुर कॉरिडोर समझौता

- 2019 में भारत और पाकिस्तान ने भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के पंजाब में गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाने की सुविधा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

- यह समझौता भारतीय तीर्थयात्रियों और ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्डधारकों को करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए पाकिस्तान में वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति देता है।

- करतारपुर साहिब कॉरिडोर के माध्यम से लगभग 5,000 आगंतुक पवित्र तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं।

- भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा जीरो पॉइंट पर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

- सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के अवसर पर 9 नवंबर, 2019 को भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरिडोर का अनावरण किया था और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह सहित 500 से अधिक भारतीय तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई थी।

- कॉरिडोर के एकीकृत चेक पोस्ट से श्रद्धालुओं को पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक शहर को पाकिस्तान के नारोवाल जिले में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा से जोड़ने वाले 4.5 किलोमीटर के कॉरिडोर से यात्रा करने की मंजूरी मिलती है।

- तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीमा के अपने हिस्से में एक समारोह में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया था।

- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे “आशा का कॉरिडोर” बताया है।

करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का महत्व

- गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर सिखों के लिए सबसे पूजनीय पूजा स्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देव ने 1521 से 1539 तक अपने अंतिम दिन करतारपुर साहिब में बिताए थे।

- 1947 के विभाजन के बाद करतारपुर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। दशकों तक भारतीय श्रद्धालुओं को धार्मिक स्थल तक पहुँचने के लिए लाहौर जाना पड़ता था, जहाँ उन्हें 125 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी, जबकि यह भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ़ एक किलोमीटर दूर है।

- वर्तमान गुरुद्वारे का निर्माण 1925 में किया गया था, जब मूल गुरुद्वारा बाढ़ में नष्ट हो गया था। इसका निर्माण पटियाला के महाराजा और भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के दादा भूपिंदर सिंह ने करवाया था। पाकिस्तान सरकार ने 2004 में इस ढांचे का जीर्णोद्धार किया।

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