Single Girl Child Quota: क्या है सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटा, दिल्ली यूनिवर्सिटी की UG के बाद अब PG में लागू करने की तैयारी
Single Girl Child Quota: एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यदि मंजूरी मिल जाती है तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के सभी 77 स्नातक और परास्नातक कोर्सेस में इसे लागू कर दिया जाएगा।
Single Girl Child Quota: शैक्षणिक सत्र 2025-26 से दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) ने सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए एक सीट आरक्षित करने की योजना तैयार की है। सिंगल गर्ल चाइल्ड यानी माता-पिता के इकलौती बेटी। इस योजना के लिए अगले सप्ताह एकेडमिक काउंसिल शुक्रवार के दिन होने वाली बैठक में चर्चा होगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अंडर ग्रेजुएट लेवल पर पहले से ही सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए हर कोर्स में एक सीट आरक्षित रखा है।
इस योजना के तहत अब तक 69 कॉलेजों में 764 छात्राओं को प्रवेश मिल चुका है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में सिंगल गर्ल चाइल्ड की शुरूआत 2023-24 के शैक्षणिक सत्र में हुई थी। एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यदि सिंगल गर्ल चाइल्ड के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के सभी 77 स्नातक और परास्नातक कोर्सेस में इसे लागू कर दिया जाएगा।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस योजना के लागू हो जाने के बाद माता-पिता की इकलौती संतान (बेटी) को प्रवेश में लाभ मिलेगा। हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्नातक और परास्नातक कोर्सेस में प्रवेश कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के जरिए मिलता है। सीयूईटी के बाद कॉमन सीट एलोकेशन सिस्टम के तहत छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। साल 2023-24 में 90 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने 13,500 पोस्ट-ग्रेजुएट (पीजी) सीटों के लिए आवेदन किया था।
सिंगल गर्ल चाइल्ड योजना का उद्देश्य?
दिल्ली यूनिवर्सिटी में सिंगल गर्ल चाइल्ड योजना को लागू करने का उद्देश्य बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है। डीयू में इसके अलावा कई कैटेगरी के तहत विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए सीटें आरक्षित हैं। जिसमें खेल से लेकर विकलांग (पीडब्ल्यूडी), सशस्त्र बल कर्मियों, विधवाओं (सीडब्ल्यू) के बच्चों और अनाथ बच्चों के लिए भी सीटें आरक्षित है।
CBSE ने लागू की सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप योजना
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप योजना भी लागू कर रखी है। इसके तहत दसवीं की परीक्षा में उत्कृष्ट अंक पाने वाली और माता-पिता की इकलौती संतान को आर्थिक सहायता दी जाती है। जिससे कि उसकी आगे की पढ़ाई में बाधा न आ सके। इस योजना के तहत उत्कृष्ट अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को हर माह 500 रुपए की धनराशि की जाती है।