Sadhvi Bhagwati Saraswati: कौन हैं भगवती सरस्वती, यौन उत्पीड़न, पति से तलाक और जीवन के संघर्षो के बाद बनीं साध्वी

Sadhvi Bhagwati Saraswati: साध्वी भगवती सरस्वती एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और लेखिका हैं। उन्हें ‘साध्वीजी’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म अमेरिका के लॉस एंजिल्स में एक यहूदी परिवार में हुआ था।;

Update:2025-02-26 15:25 IST

Sadhvi Bhagwati Saraswati

Sadhvi Bhagwati Saraswati: मकर संक्रांति के दिन से शुरू हुए महाकुंभ का महाशिवरात्रि के दिन भव्य समापन होगा। लगभग डेढ़ माह की अवधि में 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगायी। श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल भी कायम की। इस दौरान संगम के तट पर अध्यात्म का जमावड़ा लगा रहा।

देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे। महाकुंभ के दौरान कुछ लोग काफी चर्चा में रहे। लेकिन कई लोग ऐसे भी देखने को मिले। जिन्होंने सनातन धर्म को आस्था और गरिमा के साथ अपनाया। वह चर्चाओं से परे अपनी साधना में ही तल्लीन रहे। ऐसा ही एक नाम साध्वी भगवती सरस्वती का भी है। जोकि परमार्थ निकेतन आश्रम से जुड़ी हुई है। वह भी महाकुंभ की शुरूआत से ही वहां नजर आयीं।

साध्वी भगवती सरस्वती का आध्यात्मिक जीवन सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को प्रेरणा देता है। साथ ही यह भी संदेश मिलता है कि भारतीय जीवनशैली संतुलन, सादगी और शांति का प्रतीक है। यही कारण है कि दुनिया के कोने-कोने से लोग महाकुंभ पहुंचे और सनातन धर्म की मूल्यों का अपनाने की इच्छा भी जतायी।

कौन हैं साध्वी भगवती सरस्वती

साध्वी भगवती सरस्वती एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और लेखिका हैं। उन्हें ‘साध्वीजी’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म अमेरिका के लॉस एंजिल्स में एक यहूदी परिवार में हुआ था। उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में पीएचडी की डिग्री हासिल वह साल 1996 में भारत आयीं और फिर यहीं की होकर रह गयीं। उन्होंने हॉलीवुड के ग्लैमरस जीवन को त्यागकर ऋषिकेश में आध्यात्मिक जीवन को अपना लिया।

साध्वी भगवती सरस्वती अपने प्रवचनों के माध्यम से शांति, सद्भाव और प्रेम का संदेश देती हैं। उन्होंने अपने जीवन के बारे में अपनी पुस्तक ‘हॉलीवुड टू हिमालयाज’ में जिक्र किया है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि किस तरह उन्हें बचपन में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। भूख मिटाने के लिए भी उनके पास खाना नहीं था। बाद में उनकी शादी भी हुई। लेकिन बाद उनका पति से तलाक हो गया।

लॉस एंजिल्स की रहने वालीं साध्वी भगवती सरस्वती जब पहली बार भारत आईं तो उन्हें हिंदू और सनातन धर्म के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। हालाँकि, गंगा नदी के तट पर आध्यात्मिक अनुभव के बाद उनका पूरा जीवन ही बदल गया और वह एक हिंदू संन्यासी बन गईं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने साध्वी भगवती सरस्वती को नियुक्त किया था और तभी से वह परमार्थ निकेतन आश्रम की एक प्रमुख सदस्य के रूप में कार्य कर रही हैं।

बीते 25 सालों से साध्वी भगवती सरस्वती आध्यात्मिक सेवा, ज्ञान शिक्षण, पवित्र कर्म और गहन आध्यात्मिक अभ्यास के लिए समर्पित हैं। साध्वीजी अपना ज्यादा समय ऋषिकेश में ही बिताती हैं। वह दिव्य शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष के रूप में कार्य करती हैं। दिव्य शक्ति फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जो निःशुल्क विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है।

इसके अलावा साध्वी भगवती सरस्वती परमार्थ निकेतन आश्रम में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक भी हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव एक ऐसा आयोजन है जो दुनिया भर के लोगों को योग और आध्यात्म के प्रति जागरूक करता है। साध्वी भगवती सरस्वती ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की महासचिव भी हैं, जो स्वच्छ जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय अंतरधार्मिक संगठन है।

आध्यात्मिक गुरु साध्वी भगवती सरस्वती उन लोगों के लिए ज्ञान और प्रेरणा की किरण हैं जो अपनी चेतना को ऊपर उठाना चाहते हैं और अपने जीवन को पूरी तरह से बदलना चाहते हैं। उनकी शिक्षा प्राचीन और आधुनिक अंतर्दृष्टि का एक शक्तिशाली मिश्रण हैं, जो गहरे व्यक्तिगत अनुभव और मानवीय स्थिति की गहन समझ पर आधारित हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती का दृष्टिकोण समावेशी और गैर-रूढ़िवादी है, और वे व्यक्तियों को आत्मज्ञान के लिए अपने स्वयं के अनूठे मार्ग बनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, साथ ही उन्हें सफल होने के लिए मार्गदर्शन, समर्थन और प्रेरणा भी प्रदान करती हैं। उन्हें स्वयंसेवी सेवा के प्रति आजीवन प्रतिबद्धता के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

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