Haryana: कौन हैं मोहनलाल बडौली जिन्हें भाजपा ने बनाया प्रदेश अध्यक्ष,विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का बड़ा फैसला
Haryana: अब यह देखने वाली बात होगी कि बडौली पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं पर कहां तक खरे उतरते हैं
Haryana: इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा कदम उठाया है। सोनीपत की राई विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले मोहनलाल बडौली को हरियाणा में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बडौली नायब सिंह सैनी का स्थान लेंगे जिन्हें पहले ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा चुका है। सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही राज्य में नए पार्टी अध्यक्ष की चर्चाएं थीं जिस पर आज मुहर लग गई है।
बडौली 1989 से ही संघ से जुड़े रहे हैं और संघ से ही वे भाजपा में आए थे। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने रमेश कौशिक का टिकट काटते हुए बडौली को सोनीपत से चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि कांटे के मुकाबले में बडौली को हार का मुंह देखना पड़ा था। हरियाणा में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बडौली को चुनौती पूर्ण दायित्व सौंपा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि बडौली पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं पर कहां तक खरे उतरते हैं।
कौन है मोहनलाल बडौली
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से बडौली को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से की गई यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मोहनलाल बडौली कौन है जिन्हें भाजपा नेतृत्व की ओर से यह बड़ा दायित्व सोपा गया है।
मोहन लाल का जन्म 1963 में हरियाणा के सोनीपत जिले की राई तहसील के बडौली गांव में हुआ था। उनके पिता कली राम कौशिक एक प्रतिष्ठित कवि थे। वे सोनीपत के कवि पंडित लखमी चंद की रागनियों के शौकीन थे।मोहन लाल ने अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई जीएसएसएस, खेवड़ा, सोनीपत से पूरी की। इसके बाद उन्होंने सोनीपत के बहालगढ़ चौक के पास कपड़ा मार्केट में एक दुकान भी खोली थी। हालांकि व्यापार के काम में उनका ज्यादा मन नहीं लगा।
1989 से संघ से बडौली का जुड़ाव
बाद में बडौली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। संघ के साथ उनका जुड़ाव 1989 में हुआ था। संघ में रहने के दौरान उन्होंने विविध क्षेत्रों में काफी काम किया था। बाद में उन्हें भाजपा में एंट्री मिली और भाजपा में भी वे लगातार पार्टी के लिए उपयोगी साबित होते रहे।हरियाणा के सोनीपत इलाके में भाजपा की स्थिति काफी कमजोर थी मगर वे लगातार पार्टी को मजबूत बनाने में डटे रहे। इसी का नतीजा था की इंडियन नेशनल लोकदल के राज के दौरान वे मुरथल से जिला परिषद का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। भाजपा नेता के रूप में यह चुनाव जीतने वाले वे पहले नेता थे।
2019 में पहली बार बने विधायक
पार्टी के प्रति उनकी उल्लेखनीय सेवा को देखते हुए 2019 में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें सोनीपत की राई विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। इस सीट पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी मगर सारे अनुमानों को ध्वस्त करते हुए बडौली ने इस सीट पर चुनावी जीत हासिल की। इस तरह में पहली बार विधायक बनने में कामयाब हुए।
लोकसभा चुनाव में करना पड़ा हार का सामना
2020 में बडौली को सोनीपत में भाजपा का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2021 में उन्हें हरियाणा में भाजपा के प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस तरह वे पार्टी की कोर टीम के सदस्य हो गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सोनीपत से टिकट मिला था मगर वे नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गए थे।कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सतपाल ब्रह्मचारी को 548682 वोट मिले थे। वहीं बडौली को 526866 वोट मिले थे।अब उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सैनी की नड्डा से मुलाकात में लगी मुहर
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान ही बडौली के नाम पर मुहर लगी।बडौली को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर सैनी ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि बडौली के नेतृत्व में पार्टी का संगठन मजबूत होगा और हम हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब होंगे।
बडौली के सामने विधानसभा चुनाव की बड़ी चुनौती
वैसे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मोहनलाल बडौली की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है।पार्टी पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है जबकि पांच सीटों पर कांग्रेस ने अपनी ताकत दिखाई है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी हैं और ऐसे में बडौली को कांग्रेस के साथ ही इनेलो को और जेजेपी की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। चुनावी तैयारी के लिए बडौली को काफी कम वक्त मिलेगा और इस दौरान ही उन्हें अपनी ताकत दिखानी है।