पति चाहें साथ में रहें या घर से दूर, अब चुटकी बजाते ही पत्नी जान सकेगी उसकी सैलरी
दरअसल ये फैसला केंद्रीय सूचना आयोग ने एक याचिका के मद्देनजर दिया है। ये मामला कुछ यूं हैं कि जोधपुर निवासी रहमत बानो नाम की महिला ने एक याचिका दायर की थी।
नई दिल्ली: दुनिया की हर पत्नी ये चाहती है कि उसका पति कितनी सैलरी पाता है। उसमें से कितना पैसा परिवार के भविष्य के लिए बचाकर रखता है और कितना खर्च कर देता है।
इसकी ठीक-ठीक जानकारी उसके पास भी हो। कुछ आदमी ऐसे होते हैं जो शादी के दूसरे या तीसरे दिन बाद ही बिना किसी लाग लपेट के अपनी सैलरी की ठीक-ठीक जानकारी अपनी पत्नी को दे दे देते हैं।
जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न तो सैलरी के बारें में ठीक-ठीक अपनी पत्नी को बताते हैं और न ही खर्चों के बारें में। इस बात को लेकर अक्सर कई बार पति और पत्नी के बीच झगड़ों की भी नौबत आ जाती है।
लेकिन आज हम आपको जो बात बताने जा रहे हैं। उसे जानने के बाद कोई भी पति चाहकर भी अब अपनी सैलरी के बारें में जानकारी अपनी पत्नी से नहीं छिपा पायेगा।
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सैलरी जानने के लिए बस करना होगा ये छोटा सा काम
दरअसल केंद्रीय सूचना आयोग ने एक ऐसा फैसला दिया है, जो पूरी तरह महिलाओं के हक में है। इस फैसले से महिलाओं को अपने पतियों की तनख्वाह जानने का हक मिल गया है।
बस इसके लिए महिलाओं को सूचना के अधिकारी यानी आरटीआई के तहत अर्जी दाखिल करनी होगी। संबंधित विभाग को हर हाल में 15 दिन के अंदर तनख्वाह से जुड़ी पूरी डिटेल आवेदक पत्नी को देनी होगी। ये सबसे आसान और सरल तरीका है अपने पति की सैलरी के बारें में जानने का।
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आखिर क्या केंद्रीय सूचना आयोग का फैसला
प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में कहा कि अब कोई भी महिला अपने पति की सैलरी या उसकी आय के अन्य स्रोत के बारें में आसानी से जान सकती है।
इसके लिए महिलाओं को आरटीआई का इस्तेमाल करना होगा। इसके बाद संबंधित विभाग को 15 दिन में सही डिटेल्स देनी होगी।
इतना ही नहीं केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया है कि महिलाएं अपने पति की कुल सैलरी, ग्रॉस सैलरी और टैक्सेबल इनकम के बारे में जानकारी हासिल करने का पूरा अधिकार रखती हैं।
केंद्रीय सूचना आयोग ने आईटी विभाग के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें पत्नी को तीसरा पक्ष बताया गया था।
जोधपुर की रहमत बानो की याचिका पर सुनाया फैसला
दरअसल ये फैसला केंद्रीय सूचना आयोग ने एक याचिका के मद्देनजर दिया है। ये मामला कुछ यूं हैं कि जोधपुर निवासी रहमत बानो नाम की महिला ने एक याचिका दायर की थी। जिसमें उसकी तरफ से आईटी विभाग से अपने पति की आय के स्रोत के बारे में डिटेल्स मांगी गई थी।
उसके जवाब में आईटी विभाग का कहना था कि तीसरे पक्ष की मांग अनुचित है। इसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने सुनवाई की और फैसला सुनाया कि शिकायतकर्ता की ओर से दाखिल आरटीआई पर 15 दिन में उक्त जानकारी देना अनिवार्य होगा। केंद्रीय सूचना आयोग ने आईटी विभाग के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें पत्नी को तीसरा पक्ष बताया गया था।
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