World TB Day 2025: कहां है भारत और कैसे कर रहा लीड, जानिये सब कुछ

World TB Day 2025: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में नई दिल्ली में भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में भारत नवाचार शिखर सम्मेलन - टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान का उद्घाटन किया था।;

Update:2025-03-24 09:35 IST

World TB Day 2025  (photo: social media) 

World TB Day 2025: भारत ने टीबी उन्मूलन के लिए बहु-क्षेत्रीय, नवाचार-संचालित दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि अगर भारत से टीबी उन्मूलन अभियान पर एक नजर डालें तो भारत में टीबी के छिपे मामलों की संख्या जो 2015 में 15 लाख थी 2023 में उससे घटकर करीब 2.5 लाख हो गई थी। 2023 में टीबी के कुल 25.5 लाख मामले सामने आए थे और 2024 में 26.07 लाख मामले सामने आए थे, जो अब तक के सबसे अधिक हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में नई दिल्ली में भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में भारत नवाचार शिखर सम्मेलन - टीबी उन्मूलन के लिए अग्रणी समाधान का उद्घाटन किया था। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (डीएचआर-आईसीएमआर) और केंद्रीय टीबी प्रभाग (सीटीडी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति को गति देना था।

डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट

अगर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की उपलब्धियों पर डालें तो कार्यक्रम 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है। 2015 में 15 लाख से छूटे हुए मामलों की संख्या 2023 में 2.5 लाख तक कम हो गई है। कार्यक्रम 2023 और 2024 में 25.5 लाख टीबी और 26.07 लाख मामलों को अधिसूचित करने में सक्षम रहा- जो अब तक का सबसे अधिक है। टीबी के छिपे हुए मामलों को सामने लाकर उपचार करना महत्वपूर्ण है।

डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि भारत में टीबी की घटना दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या 237 से 2023 में 195 प्रति लाख जनसंख्या तक 17.7% कम हुई है। टीबी से होने वाली मौतें 2015 में प्रति लाख जनसंख्या 28 से 2023 में प्रति लाख जनसंख्या 22 तक 21.4% कम हुई हैं। भारत में टीबी उपचार कवरेज पिछले आठ वर्षों में 32% बढ़कर 2015 में 53% से 2023 में 85% हो गया है।

टीबी उपचार व्यवस्था

"सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बेडाक्विलाइन युक्त एक छोटी और सुरक्षित दवा के जरिये प्रतिरोधी टीबी उपचार व्यवस्था शुरू की गई है। बेडाक्विलाइन दवा का कोर्स नौ माह का है, जो पूरी तरह से टीबी को हरा देता है। 180 गोली की कीमत 15 लाख रुपये है जो कि सरकार बिल्कुल मुफ्त दे रही है। इस अभियान के चलते दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों की उपचार सफलता दर 2020 में 68% से बढ़कर 2022 में 75% हो गई है। दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए एक अधिक प्रभावी उपचार व्यवस्था, एमबीपीएएल (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड (300 मिलीग्राम) भी शुरू की गई है जो बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक (एमडीआर टीबी) के लिए 80% अधिक प्रभावी है और उपचार की अवधि को 6 महीने तक कम कर देगी।

इस अभियान में ऊर्जा सघन पोषण सहायता (ईडीएनएस) भी प्रभावी काम कर रहा है जो कुपोषित टीबी रोगियों को उनके उपचार के पहले 2 महीनों के दौरान दवाओं के साथ दी जाती है। इसी से जुड़ी है निक्षय मित्र पहल इससे उपचार के परिणामों में सुधार आया है। इसके अलावा सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों का लाभ उठाने में मदद मिली है। इसे टीबी रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था। यह पहल सभी पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाकर टीबी मुक्त भारत के जन आंदोलन में लाने और टीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी।

सरकार ने टीबी रोगियों को पोषण सहायता के लिए निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत वित्तीय सहायता को 1 नवंबर 2024 से 500 रुपये प्रति माह प्रति मरीज से दोगुना करके 1,000 रुपये प्रति माह कर दिया है, जबकि निक्षय मित्र पहल का भी विस्तार किया गया है, जिसमें टीबी रोगियों और उनके घरेलू संपर्कों को भोजन की टोकरी प्रदान की जा रही है।

टीबी मुक्त भारत- 100 दिवसीय सघन अभियान

7 दिसंबर 2024 को शुरू किए गए इस अभियान में 455 चयनित उच्च प्राथमिकता वाले जिले शामिल हैं और इसमें सभी प्राथमिकता वाले जिलों में टीबी के खिलाफ संसाधन जुटाने, जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई को तेज करने की व्यापक रणनीति शामिल है। अभियान की गतिविधियों में कमजोर आबादी में सक्रिय टीबी मामले की खोज, शीघ्र निदान, शीघ्र उपचार शुरू करना और पोषण संबंधी देखभाल से जोड़ना शामिल है।

अभियान की रिपोर्ट 24 मार्च 2025 को विश्व टीबी दिवस पर जारी की जाएगी। इसके तहत आईसीएमआर ने तीन स्वदेशी हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरणों को मान्य किया है, जो टीबी स्क्रीनिंग के लिए कमजोर आबादी समूहों तक पहुंचना संभव बनाता है। हैंड-हेल्ड डिवाइस कम वजन, पोर्टेबिलिटी और कम विकिरण जोखिम के फायदे प्रदान करते हैं और इनका उपयोग 100-दिवसीय त्वरित कार्यक्रम में किया जा रहा है।

आईसीएमआर ने अहमदाबाद के प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर डीपसीएक्सआर विकसित किया है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित छाती के एक्स-रे फिल्मों की रिपोर्टिंग के लिए एक उपकरण है। संभावित टीबी रोगियों का पता लगाने और उपचार की त्वरित शुरुआत करने में एआई उपकरण एक गेमचेंजर साबित होने की उम्मीद है। आईसीएमआर ने सुप्त टीबी संक्रमण का पता लगाने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा विकसित CyTb स्किन टेस्ट को इंटरफेरॉन गामा रिलीज परख (IGRA) के विरुद्ध भी मान्य किया है, जो कि सुप्त टीबी का पता लगाने के लिए पसंदीदा परीक्षण है। हालाँकि, IGRA महंगा है। CyTb का समग्र प्रदर्शन वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट से बेहतर रहा है।

टीबी उन्मूलन के लिए नवाचार महत्वपूर्ण हैं, जो तेज़ और अधिक सटीक निदान, बेहतर उपचार व्यवस्था और बेहतर रोकथाम रणनीतियों की पेशकश करते हैं। भारत आने वाले 5 वर्षों में 5 बीमारियों को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है, जिनमें शामिल हैं: कुष्ठ रोग, लिम्फैटिक फाइलेरिया, खसरा, रूबेला और कालाजार।

आईसीएमआर ने पैथोडिटेक्टTM का बहुकेंद्रीय सत्यापन किया है, जो एक स्वदेशी आणविक नैदानिक एनएएटी परीक्षण है जो एक साथ 32 परीक्षण कर सकता है, एमटीबी कॉम्प्लेक्स और रिफैम्पिसिन (आरआईएफ) और आइसोनियाजिड (आईएनएच) के लिए पहली पंक्ति की दवा प्रतिरोध का एक चरण प्रक्रिया के रूप में एक साथ पता लगाता है। कुल मिलाकर, पैथोडिटेक्ट TM का प्रदर्शन अन्य आणविक परखों के बराबर था। पहले से उपलब्ध ट्रूनैट परीक्षण के साथ-साथ 100-दिवसीय कार्यक्रम में इस परीक्षण की तैनाती से टीबी के आणविक निदान और दवा प्रतिरोध का शुरुआती पता लगाने की क्षमता में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, ह्यूवेल लाइफसाइंसेज द्वारा विकसित क्वांटिप्लस एमटीबी फास्ट डिटेक्शन किट भारत में विकसित और आईसीएमआर द्वारा मान्य दुनिया की पहली स्वदेशी ओपन सिस्टम आरटीपीसीआर किट है। ये किट कम लागत वाली है और इनमें टीबी आणविक परीक्षण की पहुंच बढ़ाने की क्षमता होगी, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान इस्तेमाल की गई 3300 से अधिक आरटीपीसीआर मशीनें भी शामिल हैं।

इस तरह से टीबी उन्मूलन के लिए भारत के प्रयास वास्तव में वैश्विक हैं जो विश्व स्तर पर लाभकारी होंगे। इन प्रयासों ने नवोन्मेषी विचारों को सामने लाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे टीबी उन्मूलन में गति और पैमाने को लाया जा सके। 

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