Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन की विधायकी पर गवर्नर की चुप्पी बनी पहेली, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में सीएम

Jharkhand Politics: यूपीए प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री सोरेन की मुलाकात के बावजूद राजभवन ने अभी तक इस मामले को लटका रखा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-09-19 12:33 IST

झारखंड सीएम हेमंत सोरेन: Photo- Social Media

Jharkhand Politics: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधायकी पर गवर्नर रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) की चुप्पी झारखंड के सियासी हलकों में पहेली बनी हुई है। चुनाव आयोग ने इस बाबत गत 25 अगस्त को ही अपनी सिफारिश राजभवन के पास भेज दी थी, मगर राजभवन ने अभी तक इस बाबत अपना फैसला नहीं सुनाया है। यूपीए प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री सोरेन की मुलाकात के बावजूद राजभवन ने अभी तक इस मामले को लटका रखा है।

झारखंड में सबकी जुबान पर इन दिनों एक ही सवाल है कि आखिर राजभवन इस मुद्दे पर फैसला क्यों नहीं ले रहा है? राजभवन की इस चुप्पी से परेशान सोरेन अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के मूड में है। उन्होंने इस बाबत कानून के जानकारों से सलाह लेनी शुरू कर दी है। जानकारों का कहना है कि राजभवन और चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए सोरेन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

राजभवन की चुप्पी पर हैरानी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंध में चुनाव आयोग की ओर से राजभवन को गत 25 अगस्त को सिफारिश भेजे जाने के बाद गत 1 सितंबर को यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने जल्द ही इस मुद्दे पर फैसला लेने का आश्वासन दिया था मगर उन्होंने अभी तक इस मामले को लटका रखा है। राजभवन की इस चुप्पी पर सियासी हलकों में भी हैरानी जताई जा रही है।

इस दौरान राज्यपाल दिल्ली का दौरा भी कर चुके हैं। पहले उनके दिल्ली दौरे से लौटने के बाद फैसला लेने की बात कही जा रही थी मगर दिल्ली से लौटने के बावजूद कई दिनों से उन्होंने मामले को लटकाए रखा है। इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई विधायक बसंत सोरेन के संबंध में भी आयोग की सिफारिश राजभवन पहुंच चुकी है। अब इन दोनों मामलों में राजभवन के फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में सोरेन

मुख्यमंत्री सोरेन के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने दिल्ली में कानून के जानकारों से संपर्क साधा है। वे इस मामले में विधिक राय लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि राज्य में भ्रम की स्थिति को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश देने का अनुरोध किया जाएगा।

राज्य सरकार की ओर से यह दलील भी दिए जाने की तैयारी है कि राजभवन की ओर से मामले को लटकाए जाने के कारण राज्य में सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है। फैसले को लटकाए रखने से राज्य में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। मुख्यमंत्री की ओर से जल्द ही इस दिशा में कदम उठाने की उम्मीद जताई जा रही है।

हाल में ही थी गवर्नर से मुलाकात

राजभवन की चुप्पी को देखते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने गत गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान सोरेन ने राज्यपाल से जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया था। उन्होंने इस बाबत सरकार की ओर से राजभवन को एक पत्र भी सौंपा था। इस पत्र में कहा गया है कि राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राज्यपाल से संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में बड़ी भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है।

गवर्नर ने नहीं पूरा किया वादा

यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने गत 1 सितंबर को राज्यपाल से मुलाकात के बाद दावा किया था कि राज्यपाल ने दो-तीन दिनों के भीतर फैसला लेने का आश्वासन दिया है। हालांकि उसके बाद काफी समय बीत जाने के बावजूद राज्यपाल ने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है। इस बीच मुख्यमंत्री की ओर से उनके अधिवक्ता ने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर खनन लीज मामले में आयोग के मंतव्य की जानकारी देने की मांग की गई है।

वैसे गवर्नर की इस मामले में लंबी चुप्पी के अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। एक चर्चा यह भी सुनी जा रही है कि गवर्नर किसी खास मौके की प्रतीक्षा में है। वैसे गवर्नर की इस चुप्पी के दौरान सोरेन विधानसभा में बहुमत साबित करके अपनी ताकत भी दिखा चुके हैं।


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