Jharkhand Election 2024: गांडेय में दो महिलाओं के बीच दिलचस्प मुकाबला, कल्पना सोरेन को आदिवासी-मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा
Jharkhand Assembly Election 2024: भाजपा ने इस सीट पर गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष मुनिया देवी को उतार कर कल्पना सोरेन को घेरने की कोशिश की है।
Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड में 20 नवंबर को होने वाली दूसरे चरण की वोटिंग में गांडेय विधानसभा क्षेत्र को सबसे हॉट माना जा रहा है। कल्पना सोरेन ने पांच महीने पहले हुए विधानसभा उपचुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी और वे फिर इस सीट पर अपनी ताकत दिखाने के लिए चुनावी जंग में उतरी हैं। भाजपा ने इस सीट पर गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष मुनिया देवी को उतार कर कल्पना सोरेन को घेरने की कोशिश की है।
गांडेय विधानसभा क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रहा है और पार्टी इस सीट पर छह बार जीत हासिल कर चुकी है। इस इलाके में करीब 26 फ़ीसदी मुस्लिम और 20 फ़ीसदी आदिवासी मतदाता उसकी ताकत रहे हैं। इस वोट बैंक के दम पर ही झामुमो ने इस बार भी जीत की उम्मीद पाल रखी है। गांडेय भाजपा प्रत्याशी मुनिया देवी का मायका है और इसलिए इस चुनावी जंग को लोकल बनाम आउटसाइडर की लड़ाई बनाने की कोशिश की जा रही है।
कल्पना सोरेन को मुनिया देवी दे रहीं चुनौती
झारखंड में विधानसभा के 81 सीटें हैं और इनमें से 43 सीटों पर पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान का काम पूरा हो चुका है। अब दूसरे चरण में 20 नवंबर को 38 सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होने वाला है। दूसरे चरण की विधानसभा सीटों में गांडेय को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि यहां पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनावी जंग में उतरी हैं।
सियासी मैदान में उतरने के बाद कल्पना सोरेन को काफी लोकप्रियता हासिल हो चुकी है। इस बार विधानसभा चुनाव में झामुमो के चुनाव प्रचार में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। उन्हें चुनौती देने वाली मुनिया देवी लोकल लीडर हैं और मौजूदा समय में गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष भी हैं। मुनिया देवी को चुनावी जंग में उतार कर भाजपा ने कल्पना सोरेन की घेरेबंदी में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।
गांडेय को क्यों माना जाता है झामुमो का गढ़
गांडेय विधानसभा क्षेत्र को झामुम का गढ़ यूं ही नहीं माना जाता। पार्टी इस सीट पर छह बार जीत हासिल कर चुकी है। झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद झामुमो ने इस सीट पर दो बार चुनाव और एक बार उपचुनाव जीता है। इस सीट पर सबसे अधिक चार बार झामुमो नेता सालखन सोरेन विधायक रहे हैं।
सालखन सोरेन के निधन के बाद पार्टी ने कांग्रेस से आए सरफराज अहमद को पिछले चुनाव में यहां से उम्मीदवार बनाया था। 2019 के चुनाव में सरफराज को इस सीट पर जीत मिली थी। बाद में उनके इस्तीफा देने पर इस सीट पर कराए गए उपचुनाव में कल्पना सोरेन विधायक चुनी गई थीं। उन्होंने 27,149 मतों से भाजपा प्रत्याशी दिलीप कुमार वर्मा को हराया था।
पिछले जून महीने में चुनाव जीतने के बाद कल्पना सोरेन एक बार फिर प्रत्याशी के रूप में इस चुनाव क्षेत्र में उतरी हुई हैं। कल्पना सोरेन अब झामुमो की स्टार प्रचारक बन चुकी हैं और झारखंड में उनकी सभाओं में जमकर भीड़ उमड़ रही है।
आदिवासी-मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा
झामुमो नेताओं को यहां के चुनाव में आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं पर काफी भरोसा है। दरअसल इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता करीब 26 फीसदी हैं जबकि आदिवासी मतदाताओं की संख्या करीब 20 फ़ीसदी है। आदिवासी और मुस्लिम झारखंड मुक्ति मोर्चा के कोर वोटर रहे हैं और इन मतदाताओं के दम पर इस बार भी कल्पना सोरेन की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। इलाके के लोग झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन को अपना गुरु मानते रहे हैं।
झामुमो सरकार के कार्यकाल में इस विधानसभा क्षेत्र में विकास के काफी काम भी कराए गए हैं। मइयां योजना के जरिए झामुमो ने महिला मतदाताओं पर भी निगाहें लगा रखी हैं। सियासी जानकारी इन कारणों से कल्पना सोरेन की स्थिति मजबूत मान रहे हैं।
भाजपा ने कर रखी है मजबूत घेरेबंदी
दूसरी ओर भाजपा ने ओबीसी बिरादरी से आने वाली मुनिया देवी पर दांव लगाकर विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति अपनाई है। मुनिया देवी स्थानीय नेता हैं। इस इलाके पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती रही है।
जेपी वर्मा के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा को मजबूत कुशवाहा नेता की तलाश थी। मुनिया देवी को कल्पना सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ा कर भाजपा इस मुकाबले को लोकल बनाम आउटसाइडर बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
भाजपा की ओर से आदिवासी वोट बैंक में भी सेंधमारी का प्रयास किया जा रहा है। मुनिया देवी के समर्थन में गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भी जनसभा कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि गांडेय विधानसभा क्षेत्र में दो महिलाओं के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा।