Jharkhand Politics: रघुवर दास को झारखंड में बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी भाजपा, पार्टी को मजबूत बनाने की नई रणनीति

Jharkhand Politics: भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने एक बड़ी रणनीति के तहत रघुवर दास को राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलाकर राज्य की राजनीति में सक्रिय करने का फैसला किया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-12-26 11:37 IST

PM Modi and Raghuvar Das  (photo: social media )

Jharkhand Politics: झारखंड के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा एक बार फिर राज्य में पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गई है। ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को पार्टी की ओर से राज्य में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी है। रघुवर दास कल भाजपा के प्रदेश कार्यालय में एक बार फिर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

जानकारों का कहना है कि इसके बाद पार्टी की ओर से उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। ओबीसी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले रघुवर दास को बड़ी जिम्मेदारी सौंप कर पार्टी ओबीसी समीकरण साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

कल भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे रघुवर दास

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हाल में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने एक बड़ी रणनीति के तहत रघुवर दास को राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलाकर राज्य की राजनीति में सक्रिय करने का फैसला किया है।

रघुवर दास को कल पार्टी की सदस्यता दिलाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके जरिए पार्टी यह संकेत देने की कोशिश कर रही है कि अब आने वाले दिनों में रघुवर दास झारखंड की सियासत में ही सक्रिय रहेंगे। फरवरी में झारखंड बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन होने वाला है।

माना जा रहा है कि रघुवर दास को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है जबकि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जा सकता है। मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान ही पार्टी ने झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ा था जिसमें पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था।

भाजपा ने इस कारण बदली थी रणनीति

भाजपा सूत्रों का कहना है कि पहले तैयार की गई रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव से पूर्व ही रघुवर दास का राज्यपाल पद से इस्तीफा होने वाला था मगर बाद में पार्टी ने अपना रुख बदल लिया। पार्टी हाईकमान का मानना था कि विधानसभा चुनाव से पूर्व यह कदम उठाने से राज्य में पार्टी के नेतृत्व को लेकर तमाम सवाल उठ सकते हैं।

इसके साथ ही गुटबाजी पनपने की आशंका भी सता रही थी। इस कारण उस समय इस्तीफे के फैसले को टाल दिया गया। अब विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की करारी हार के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से रघुवर दास को एक बार फिर राज्य में सक्रिय करने का फैसला लिया गया है।

झारखंड में समीकरण साधने की कोशिश

लोकसभा चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को आदिवासी वोट बैंक का समर्थन नहीं मिल सका था। आदिवासी मतदाताओं की ओर से समर्थन दिए जाने के कारण हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने राज्य में बड़ी जीत हासिल की थी। अब भाजपा राज्य में नए सिरे से सोशल इंजीनियरिंग में जुटी हुई है।

इसके तहत ओबीसी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अपने बड़े चेहरे रघुवर दास को पार्टी ने राज्य में सक्रिय बनाने का फैसला किया है। इसके साथ ही पार्टी ओबीसी बिरादरी संग दलित वोट बैंक का समीकरण साधने की कोशिश में भी जुटी हुई है। जानकारों का करना है कि रघुवर दास की सक्रियता के बाद राज्य में भाजपा को नई ताकत मिल सकती है।

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