Self Employment in Nursery Schools: महिलाओं के लिए नर्सरी ट्रेनिंग में स्वरोजगार
Self Employment in Nursery Schools: नर्सरी स्कूल चलाने हेतु बहुत ज्यादा परेशान होने की बात नहीं है। आप के कॉलेज के दिनों की शिक्षा ही ऐसा कर पाने के लिए काफी है। दूसरी बात ध्यान में रखें कि आज विशेषज्ञता का युग है।
Self Employment for Women: ऊंची कीमतों एवं बढ़ती हुई महंगाई ने परिवार के हर सदस्य को कमाने के लिए मजबूर कर दिया है। परंतु रोजगार के साधन इतने सीमित हैं कि आमलोगों को आत्मनिर्भरता की दिशा में कोई सफलता नहीं मिल पा रही है।अधिकांश महिलाएं अपने मन में यह भावना छिपाए रहती हैं की उन्हें चौका चूल्हा, घर गृहस्थी के काम के अलावा नौकरी के क्षेत्र में भी कुछ सफलता हासिल कर सके। लेकिन हमारे देश में नौकरी के लिए लंबी कतार के कारण तथा अंशकालिक काम की सुविधा के अभाव में कई बार काम करने की योग्यता एवं इच्छा होने पर भी मनपसंद रोजगार नहीं मिल पाता। ऐसी परिस्थिति में बेहतर तो यही होगा कि नौकरी का मोह छोड़कर किसी अन्य उपाय से आमदनी बढ़ाकर स्वावलंबी बनाने की कोशिश की जाए।
नौकरी के अलावा आमदनी बढ़ाने का एक अन्य तरीका है - व्यापार। परंतु छोटे छोटे पैमाने पर किए गए व्यापार हेतु भी अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है, जो आम आदमी के सामर्थ्य के परे है। इसके अलावा किसी भी व्यापार की सफलता हेतु पूरे समय एवं तन्मयता की आवश्यकता होती है, जो घरेलू महिलाओं के लिए संभव नहीं होता। यही कारण है कि व्यापार के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिशत नगण्य है। इसके अतिरिक्त अधिकांश महिलाएं पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। जिससे बाहर जाकर कोई काम करने का अतिरिक्त समय भी नही मिल पाता। ऐसे परिस्थिति में अपनी आमदनी बढ़ाने हेतु केवल उन्हीं व्यवसायों के बारे में प्रयास करें जिनके कभी बाहर जाकर पूरे दिन समय न बिताना पड़े तो महिलाओं के लिए इससे उत्तम और कोई दूसरा काम नहीं हो सकता। वर्तमान युग में स्वरोजगार के इतने अवसर उपलब्ध हैं जिनकी जानकारी अधिकांश महिलाओं को नहीं है। यदि वे इन सुअवसारों को जानने का प्रयास करें तो घर बैठे उन्हें भरपूर आमदनी प्राप्त हो सकती है।
इन दिनों अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षा दिलाने की होड़ सी लगी है। सभी जगह, खासकर बड़े शहरों में अनेकों अंग्रेजी स्कूल खुल चुके हैं।
फिर भी पढ़ाने वाले बच्चों को संख्या की तुलना में अच्छे विद्यालयों की संख्या कम पड़ रही है। किसी सम्मानजनक स्कूल में प्रवेश हेतु आरंभिक कक्षाओं में भी प्रतियोगिता परीक्षाएं ली जाने लगी हैं। इन स्कूलों में केवल वही बच्चे प्रवेश पा सकते हैं जो पहले से प्रशिक्षित हों। परंतु आज के अभिवावक इतनी व्यस्तता की जिंदगी के दौर से गुजर रहे हैं कि उन्हें अपने बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश परीक्षा दिलाने हेतु प्रशिक्षित करने का समय नहीं मिल पाता। इस आवश्यकता का लाभ ऐसी महिलाएं उठा सकती हैं, जिनमें नर्सरी कोचिंग स्कूल चलाने की क्षमता हो।
नर्सरी स्कूल चलाने हेतु बहुत ज्यादा परेशान होने की बात नहीं है। आप के कॉलेज के दिनों की शिक्षा ही ऐसा कर पाने के लिए काफी है। दूसरी बात ध्यान में रखें कि आज विशेषज्ञता का युग है। अतः आप अपने शहर के किसी खास, अच्छे एवं प्रतिष्ठित स्कूल की प्रवेश परीक्षा हेतु ही प्रशिक्षण देने का ध्येय रखें। अपने नर्सरी स्कूल के प्रचार हेतु आप मुहल्ले एवं आसपास के परिवार वालों को इस बात की पूरी जानकारी देने का प्रयास करें कि आप अपने यहां उसी खास स्कूल में प्रवेश परीक्षा हेतु तैयारी करती हैं। फिर आप उसी स्कूल के पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों को शिक्षा दें। इसे आपको यह सुविधा होगी कि प्रतिवर्ष आपको उसी पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ना होगा जिसे बार बार विशेष तैयारी की परेशानी भी नहीं होगी। साथ ही जब आपके स्कूल के बच्चों को उन प्रतिष्ठित स्कूलों में प्रवेश मिलने लगेगा तो लोग स्वयं आपके शिक्षा केंद्र की ओर आकृष्ट होंगे। यह आपके लिए मुफ्त विज्ञापन की तरह सहायक सिद्ध होगा।
इस व्यापार के लिए आप को प्रतिदिन मात्र दो से तीन घंटे का समय देना भी पर्याप्त होगा। यह व्यवसाय अपने ही घर के किसी बड़े कमरे में आरंभ किया जा सकता है। यदि अतिरिक्त कमरा न भी हो तो आप अपनी बैठक में यह कार्य आरंभ कर सकती हैं। दिन के खाली समय में यह स्कूल के रूप में प्रयुक्त होगा एवं उसके बाद इसका इस्तेमाल घरेलू कार्यों हेतु भी हो सकता है। बच्चों को बैठने के लिए आप बाजार से उपलब्ध सस्ते सुंदर एवं बहु उपयोगी फोल्डिंग फर्नीचर का उपयोग कर सकती हैं। यदि आपको यह स्कूल चलाने हेतु कुछ प्रशिक्षण की आवश्यकता है तो थोड़े दिनों के लिए किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र से आप स्वयं भी ट्रेनिंग ले सकती हैं। जिसकी फीस भी बहुत ज्यादा नहीं होगी।
आरंभिक दिनों में यदि आप चाहें तो एक दो प्रशिक्षित सहेलियों की सहायता भी ले सकती हैं।विद्यार्थी के रूप में आपको अपने मुहल्ले के बच्चे ही पर्याप्त संख्या में मिल जायेंगे। छोटे छोटे बच्चों को शैक्षिक आधार देने का यह कार्य इतना सुंदर है कि आपने घर के सभी सदस्य भी अवश्य ही सराहेंगे। इस प्रकार का सेंटर चलाने से एक अन्य लाभ यह भी होगा कि आप के दिमाग से यह बात बिल्कुल निकल जायेगी कि आप अपनी पढ़ाई लिखाई भूल चुकी हैं। अपना आत्मविश्वास लौटने पर आप बड़ी आसानी से अपने बच्चों को भी ट्यूशन छुड़वाकर खुद पढ़ाने लगेंगी। इस ट्यूशन पर व्यय किए जाने वाले रुपयों की भी बचत हो जायेगी तथा अपने बच्चों की प्रगति भी आपके हाथों में आ जायेगी।