Kumbh 2025: महाकुंभ का अनोखा अकेला संत शिविर जो कभी नहीं उजड़ता
Kumbh 2025: महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़ों और साधु संतों के लाखों शिविर तैयार हो रहे हैं जो कुंभ खत्म होने पर यहां से हट जाएंगे। लेकिन कुंभ क्षेत्र में एक ऐसा भी साधुओं का शिविर है जो कभी भी नहीं उखड़ता हमेशा कुंभ क्षेत्र में लगा रहता है।
Kumbh 2025: जनवरी 2025 में प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुंभ का पुण्य लाभ अर्जित करने के देश भर से 60 हजार से अधिक संस्थाएं और लाखों साधु संत अपना शिविर लगाने के लिए मेला प्रशासन के पास अर्जी लगा चुकी हैं। ये शिविर डेढ़ महीने तक चलने वाले महाकुंभ के बाद उखड़ जाएंगे। बस एक शिविर यहां बचेगा जो कभी इस क्षेत्र से नहीं उखड़ता।
सार्वकालिक शिविर है कुंभ का यह अनोखा शिविर
महाकुंभ क्षेत्र में अखाड़ों और साधु संतों के लाखों शिविर तैयार हो रहे हैं जो कुंभ खत्म होने पर यहां से हट जाएंगे। लेकिन कुंभ क्षेत्र में एक ऐसा भी साधुओं का शिविर है जो कभी भी नहीं उखड़ता हमेशा कुंभ क्षेत्र में लगा रहता है। यह शिविर है ब्रह्मलीन संत स्वामी देवरहा बाबा का शिविर जो न कभी बनता है और न कभी उजड़ता है। शिविर के प्रभारी संत रामदास बताते हैं कि संत देवरहा बाबा की स्मृति में 17 साल पहले यह शिविर स्थापित किया गया था जो आज तक नहीं हटाया गया। बाढ़ के समय यह क्षेत्र भी बाढ़ से जलमग्न हो जाता है तब भी इस शिविर के देवता यहां इसी जगह विद्यमान रहते हैं। साल के 365 दिन यह शिविर कुंभ में विद्यमान रहता है। लकड़ी और घास फूस के टुकड़े से बने इस शिविर में पांच कुटीर हैं जो हमेशा यही रहती हैं। हमारा एक संत इस कुटिया या शिविर की देखरेख में तैनात रहता है।
17 साल से जल रही है अखंड ज्योति
संत देवरहा बाबा की याद में 17 साल पहले बनाएं गए इस शिविर के अन्दर 52 फीट ऊंचे स्तंभ में एक दिव्य ज्योति भी विद्यमान है। शिविर के प्रभारी संत रामदास का कहना है कि 17 बरस से यह अखंड ज्योति जल रही है। बारिश हो या आंधी आए इसकी रक्षा के लिए विशाल ग्लास के कवच बने है जिससे ज्योति बाधित नहीं होती। शिविर के प्रभारी संत ही इसकी देखरेख करते हैं। महाकुंभ में यहां साधु संतों के प्रवचन और संत सम्मेलनों का आयोजन होता है। प्रमुख स्नान पर्वों पर यहां अन्न क्षेत्र भी चलता है। महाकुंभ का यह शिविर अपनी इस सार्वकालिकता की वजह से कुंभ के सभी शिविरों में अलग है ।