महाकुंभ 2025 : आस्था के 84 स्तंभ
Maha Kumbh 2025: इन्हीं अद्भुत चीजों में शामिल हैं ‘आस्था के स्तम्भ’ जिन्हें हवाई अड्डे की ओर जाने वाली 16 किलोमीटर लम्बी सड़क पर स्थापित किया गया है। लाल बलुआ पत्थर के इन स्तंभों की संख्या है 84 और इन्हें नाम दिया गया है - “आस्था के स्तंभ।”
Maha Kumbh 2025: प्रयागराज. महाकुंभ 2025 में बहुत सी अद्भुत चीजें दिखाईं देंगी क्योंकि इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में एक से बढ़ कर एक तयारी कर रखी है । इन्हीं अद्भुत चीजों में शामिल हैं ‘आस्था के स्तम्भ’ जिन्हें हवाई अड्डे की ओर जाने वाली 16 किलोमीटर लम्बी सड़क पर स्थापित किया गया है। लाल बलुआ पत्थर के इन स्तंभों की संख्या है 84 और इन्हें नाम दिया गया है - “आस्था के स्तंभ।”
इन स्तंभों की स्थापना पर सरकार करीब 17 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और प्रत्येक स्तंभ की लागत लगभग 20 लाख रुपये होगी। प्रत्येक स्तंभ पर भगवान शिव के 108 नाम अंकित होंगे और शीर्ष पर एक कलश बना होगा। बताया जाता है कि कि स्तंभों के निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाए गए थे। आस्था की स्तम्भबताया गया है कि जब आगंतुक इन 84 स्तंभों की परिक्रमा करेंगे तो वे प्रतीकात्मक रूप से 84 लाख योनियों की यात्रा पूरी करेंगे। जो प्रतीकात्मक रूप से अस्तित्व के पूरे चक्र को पार करना जैसा होगा। इन 84 स्तंभों को चार भागों में विभाजित किया गया है और हर स्तंभ एक लाख योनियों को परिभाषित करता है। भगवान शिव के सभी 108 नामों को भी चार भागों में विभाजित किया गया है। इसलिए 84 स्तंभों की परिक्रमा पूरे ब्रह्मांड को कवर करने का प्रतीक होगी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आचार्य मिथलेश नंदनी शरण ने स्तंभों का वर्णन करते हुए लिखा है कि "जीवन जन्म और मृत्यु के अनंत चक्रों से गुजरने वाली एक बड़ी यात्रा है, आत्मा खुद को खोजने के प्रयास में 84 लाख बार अपना रूप बदलती है। इस चक्र को 21 लाख की चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। मानव शरीर प्राप्त करने के बाद व्यक्ति को चार पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास के चार आश्रमों से गुजरना पड़ता है। आत्मा की इस अपरिहार्य महान यात्रा में, उसकी असली शक्ति आस्था ही है। 'एक ओर, आस्था के ये 84 स्तंभ चार आश्रमों और चार पुरुषार्थों को व्यक्त करते हैं। दूसरी ओर, वे आश्वासन देते हैं कि शिव की कृपा से आत्मा 84 लाख योनियों से परे ले जाई जाएगी। सनातन अवधारणा के चार युगों और चार दिशाओं का संकेत देते हुए।''