Kumbh 2025: संस्कृत भाषा के प्रचार के साथ भक्ति-ज्ञान और राष्ट्र में नैतिक भावनाओं का संचार करना श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन का प्रमुख उद्देश्य
Kumbh 2025: श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, उदासीन संप्रदाय के तीन मुख्य अखाड़ों में से एक है। इसकी स्थापना विक्रम संवत 1825 में माघ शुक्ल पंचमी को हरिद्वार के कनखल में गंगा तट पर राजघाट पर हुई थी। इस अखाड़े की स्थापना बनखंडी निर्वाणदेव जी ने की थी।
Kumbh 2025: कुंभ स्नान के दौरान श्री पंचायती अखाड़ा पेशवाई में बैंड बाजे और उद्घोषों के बीच सबसे आगे की पंगत में शामिल हाथी-घोड़ों के साथ लहराती अखाड़े की ध्वजा पताका और हवाई जहाज से आकाश से होती फूलों की वर्षा पेशवाई की रौनक को दिव्यता प्रदान करती है। ऐसे में उदासीन संप्रदाय के संस्थापक भगवान चंद्राचार्य महाराज और गुरु संगत साहिब का रथ इस पेशवाई में मौजूद श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का एक मुख्य केंद्र बिंदु माना जाता है।
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, उदासीन संप्रदाय के तीन मुख्य अखाड़ों में से एक है। इसकी स्थापना विक्रम संवत 1825 में माघ शुक्ल पंचमी को हरिद्वार के कनखल में गंगा तट पर राजघाट पर हुई थी। इस अखाड़े की स्थापना बनखंडी निर्वाणदेव जी ने की थी।
पंचायती अखाड़ा नया उदासीन निर्वाण के बारे में कुछ खास बातें :-
इस अखाड़े की स्थापना सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और समाज सेवा के लिए की गई थी।
इस अखाड़े के पथ प्रदर्शक शिव स्वरूप उदासीन आचार्य जगतगुरु चंद्र देव महाराज थे।
इस अखाड़े के संस्थापक निर्वाण बाबा प्रीतम दास महाराज थे।
उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं। उदासीन शब्द का मतलब है उत् +आसीन यानी ब्रह्मा में आसीन या स्थित। उदासीन संप्रदाय के लोग पंचतत्व की पूजा करते हैं।
बड़ा उदासीन संप्रदाय सिख-साधुओं का एक संप्रदाय है।श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन “निर्वाण“ अखाड़े का पंजीकरण ईसवी सन 1902 में हुआ था। इस की विशेषता यह है कि इस अखाड़े में केवल छठी बख्शीश के श्री संगत देव जी की परंपरा के साधु सम्मिलित है। समूचे देश में करीब 700 डेरे हैं।
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन “निर्वाण“ की विशेषता
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन निर्वाण अखाड़े की विशेषता यह है कि इस अखाड़े में केवल छठी बख्शीश के श्री संगत देव जी की परंपरा के साधु सम्मिलित हैं। इसके श्री पंच प्रेसिडेंट श्रीमान महंत श्री धूनी दास जी महाराज हैं, वहीं दक्षिण पंगत मुखिया महंत श्रीमान भगत राम जी महाराज हैं। उत्तर पंगत की बात करें तो इसके मुखिया महंत श्रीमान सुरजीत मुनि महाराज हैं। वहीं पूर्व पंगत के मुखिया महंत श्रीमान आकाश मुनि जी महाराज और पश्चिम पंगत मुखिया महंत श्रीमान मंगल दास जी महाराज हैं। बात इस अखाड़े के श्री महामंडलेश्वरों की करें तो जालंधर में श्रीमान महामंडलेश्वर स्वामी श्री शांतानंद जी और ठुड्डी फरीदकोट में श्रीमान डॉ स्वामी श्री राम प्रकाश शास्त्री जी, हरिद्वार में श्रीमान स्वामी श्री सुरेशानंदजी और मनसा पंजाब में श्रीमान स्वामी श्री गोपाल दास जी, अमृतसर सरला में श्री कृपाल दास जी, खड़खड़ी हरिद्वार में श्रीमान स्वामी श्री शांतानंद जी, कनखल
में श्रीमान श्री सुरेंद्र मुनि, श्रीमान स्वामी श्री धर्मदेव जी हरिद्वार आश्रम गुड़गांव (हरियाणा), श्रीमान स्वामी श्री रिजक दास जी सहारनपुर उत्तर प्रदेश, श्रीमान स्वामी ऋषि राज जी कनखल हरिद्वार, श्रीमान स्वामी रजेंद्रनंद जी वृंदावन उत्तर प्रदेश, श्रीमान स्वामी सुरेंद्र आनंद जी मथुरा उत्तर प्रदेश आदि श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के देश में स्थित आश्रमों में महामंडलेश्वर की गद्दी पर विराजमान हैं।
श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े के डेरे
श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के देश में स्थित डेरे या इनके आश्रमों की संख्या की बात करें तो भारत देश के कोने - कोने में इसके आश्रम स्थापित हैं। जिनमें उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि मुख्य जगहों के अलावा भी इनके कई आश्रम स्थापित हैं। आश्रमों की ओर से अनेक सामाजिक शैक्षणिक सेवाएं हो रही है अपनी समाज उन्मुख सेवाओं के लिए आश्रम विख्यात है।
धर्म ध्वजा की स्थापना और आंतरिक व्यवस्था
उदासीन संप्रदाय के अखाड़े की धर्म ध्वजा में एक तरफ जहां भगवान हनुमान होते हैं, वही इस पर अंकित चक्र भी खास महत्व रखता है और इसकी स्थापना के वक्त दिव्य माहौल देखने को मिलता है। इस दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा का नजारा देखने के लिए लोगों का हुजूम मौजूद रहता है। पंचायती अखाड़ा उदासीन के चार मुख्य महन्त ही नियुक्त होते हैं और यहां चुनाव भी नहीं होता। बस धूने के रूप में वैदिक यज्ञोपासना को आगे बढ़ाने का काम उदासीन संप्रदाय के संत निरंतर कर रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन निर्वाण की स्थापना भगवान श्री चंद्राचार्य से जुड़ी है, उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लोक कल्याण के लिए संस्कृत पाठशाला, अस्पतालों, मंदिरों और धर्मशालाओं की स्थापना करने का संकल्प उदासीन संतों ने लिया और इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उदासीन सिद्ध संत वर्तमान समय भी इस अखाड़े की शिक्षा का प्रचार कर रहें हैं। अखाड़े के उद्देश्य की बात करें तो श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन प्रमुख उद्देश्यों में से एक संस्कृत शिक्षा का प्रचार-प्रसार एवं औषधालयों की स्थापना करना है। उदासीन संप्रदाय के भक्ति-ज्ञान समुच्चय सिद्धांत का प्रचार तथा राष्ट्र में नैतिक भावनाओं का संचार करना अखाड़ा का प्रमुख उद्देश्य है।इसके अतिरिक्त उदासीन संप्रदाय का ये अखाड़ा देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों एव कुंभ महापर्व के मौके पर तीर्थयात्रियों के लिए निःशुल्क अन्न एवं आवास की व्यवस्था करते हुए धर्म का प्रचार-प्रसार करने में व्यस्त रहता है। यह अखाड़ा समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं को आर्थिक सहयोग भी करता है।दैवीय आपदा एवं राष्ट्रीय संकट की घड़ी में यह अखाड़ा देश की एकता, अखंडता की रक्षा के लिए हमेशा से बढ़- चढ़कर आर्थिक योगदान करता है।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं । )