Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ 2025 की व्यवस्थाओं पर सपा अध्यक्ष अखिलेश खड़े कर रहे सवाल!
Maha Kumbh 2025: प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सारी सुविधाओं को दुरुस्त करने में जुट गई, जिसके चलते प्रदेश महाकुम्भ में सुरक्षा और सुविधाओं के साथ साथ सरकारी तंत्र की हर जगह तारीफ हो रही है।;
Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ 2025 के शुरू होने से पहले से ही प्रदेश सरकार श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सारी सुविधाओं को दुरुस्त करने में जुट गई, जिसके चलते प्रदेश महाकुम्भ में सुरक्षा और सुविधाओं के साथ साथ सरकारी तंत्र की हर जगह तारीफ हो रही है। लेकिन इस बीच सपा अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से लगातार सोशल मीडिया के जरिए महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। अलग अलग आरोपों के जरिये वे सत्ताधारी भाजपा पर हमला बोलते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में लोग अब सपा कार्यकाल में हुए महाकुम्भ 2013 के दौरान दिखी अव्यवस्थाओं और अफसरों के साथ साथ तत्कालीन सपा सरकार की लापरवाही का काला सच अखिलेश यादव को याद दिलाते दिखाई दे रहे हैं।
महाकुम्भ 2013 के दौरान भगदड़ में गई थी 36 श्रद्धालुओं की जान
आपको बता दें कि इससे पहले प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन 2013 में हुआ था, उस दौरान प्रदेश में सपा की सरकार काबिज थी। उस वक्त महाकुंभ मेले के दौरान 10 फरवरी 2013 को प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़ मचने 36 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी और लगभग 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच में पता चला था कि रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ के चलते प्रशासन अपनी व्यवस्थाओं को मैनेज नहीं कर पाया और फुटओवर ब्रिज के एक हिस्से की रेलिंग टूटने से बड़ी दुर्घटना हो गई। अखिलेश यादव के शासनकाल में मेले की ड्यूटी पर लगे अधिकारियों का कहना था कि फुटओवर ब्रिज पर दोनों तरफ से एक साथ लोगों के चढ़ने के कारण धक्का लगने से कई लोग गिर गए थे, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से बताई गई सच्चाई ने अखिलेश यादव की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
पुलिस की ओर से हुई लाठीचार्ज से मची थी भगदड़
भगदड़ के बाद अखिलेश सरकार की कागजी गवाही से हट कर जब वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों से बात की गई थी तो उन्होंने घटना के वक्त की वो सच्चाई बयां की, जिससे अखिलेश सरकार की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि भीड़ पर पुलिस की तरफ से लाठी चलाई गई, जिससे भगदड़ मची और भगदड़ के चलते फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूट गई। इसी से कई लोगों की मौत हुई थी। उस दौरान यूपी सरकार के मेला मंत्री रहे आज़म खान ने भगदड़ से 36 लोगों की मरने की पुष्टि की थी। इतना ही नहीं, इस घटना की जांच कर रही एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में बताया गया था कि आरपीएफ जवानों द्वारा पॉलीकार्बोनेट के डंडों का प्रयोग किए जाने से कई यात्रियों को चोटें आईं थी। इन डंडों का प्रयोग यात्रियों पर किया जाना ही दुर्घटना का कारण बना था। आयोग की ओर से ये भी बताया गया था कि दुर्घटना के बाद रेल अधिकारियों की ओर से इस पूरे मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया था।
अखिलेश सरकार में हुए कुम्भ में रेलवे प्रशासन के पास नहीं थी कोई चिकित्सकीय सुविधा
आपको बता दें कि मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आते ही अपनी कैबिनेट बैठक में महाकुंभ 2013 के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे की जांच के लिए बनाये गए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखने का फैसला लिया। रिपोर्ट के सामने आने के बाद सामने आई हकीकत से हर कोई दंग रह गया। रिपोर्ट में बताया गया था कि रेल प्रशासन द्वारा चिकित्सक और चिकित्सीय सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई थी। घटना के वक्त राजकीय रेलवे पुलिस के पास न तो कोई एंबुलेंस थी और ना ही कोई चिकित्सक नियुक्त था।
महाकुम्भ 2013 में सपा सरकार ने किया था केंद्र से मिले विशेष अनुदान में घोटाला
अखिलेश राज में हुए महाकुम्भ में भारी अव्यवस्थाओं के बीच उनके खर्च में भी भारी घोटाला हुआ था। जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि महाकुंभ के लिए 1,152.20 करोड़ में से 1,01.37 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए थे। इतना ही नहीं, भारत सरकार से मिले विशेष अनुदान 800 करोड़ से राज्यांश की प्रतिपूर्ति कर ली गई। इस कारण महाकुंभ के लिए केंद्र की राशि 1,141.63 करोड़ (99 फीसदी) और राज्यांश की राशि घटकर 10.57 करोड़ यानी मात्र एक फीसदी ही रह गई। आपको बताते चलें कि सीएजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेला निधि से खर्च होने वाली राशि की निगरानी के लिए कोई नोडल अधिकारी तक नहीं बनाया गया।
सपा सरकार ने महाकुम्भ के खर्च का सिर्फ 1 प्रतिशत ही किया था खर्च
सपा के कार्यकाल में हुए कुम्भ 2013 के दौरान खराब मानव शक्ति प्रबंधन के चलते कुंभ क्षेत्र में तैनात यातायात पुलिस, अग्निशमन सेवाओं और नदी गश्ती पुलिस में 10 से 100 प्रतिशत की कमी दिखी थी। इस दौरान अग्निशमन उपकरणों की उपलब्धता सिर्फ 23 प्रतिशत थी। एम्बुलेंस में 60 प्रतिशत और कुंभ के दौरान आवश्यक आपातकालीन रोशनी में 100 प्रतिशत की कमी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि अखिलेश सरकार ने महाकुंभ 2013 के पूरे खर्च का सिर्फ एक प्रतिशत ही खर्च किया था, जबकि इस दौरान केंद्र सरकार का हिस्सा 99 फीसदी तक इस्तेमाल किया गया।