पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा पर उठी CBI के अंदर से ही उंगली

Update: 2016-05-18 17:15 GMT

Yogesh Mishra

लखनऊ: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआई) इन दिनों बेहद पसोपेश में है। वजह, उसके ही एक इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर द्वारा जांच एजेंसी के पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के खिलाफ कई सवाल खड़े कर दिए गए हैं। कोलगेट मामले की जांच कर रहे इस ऑफिसर ने पिछले हफ्ते ही यह कहकर सनसनी फैला दी कि जांच बंद करने के आदेश उन्हें रंजीत सिन्हा ने दिए थे।

क्या कहा ऑफिसर ने?

बीते 14 तारीख को स्पेशल जस्टिस सीबीआई भरत पराशर की स्पेशल कोर्ट में यह बात इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर संजय दुबे ने कही। जांच के मुताबिक कोलगेट मामले में मध्यप्रदेश के रुद्रपुरी के थेसबोरा कोल ब्लॉक का आवंटन मेसर्स कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड को किया गया। आवंटन की गाइडलाइन में साफ तौर पर यह लिखा था कि सभी आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग कोयला मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी करेगी।

लेकिन इस मामले में स्क्रीनिंग कमेटी ने इस कंपनी के आवेदन पत्र की बिना स्क्रीनिंग कराए उसे आवंटन पत्र थमा दिया। वह भी तब, जबकि सीबीआई की जांच में यह तथ्य हाथ लगा कि मेसर्स कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड कंपनी का आवेदन पत्र अपूर्ण था। वह किसी भी तरीके से स्क्रीनिंग कमेटी के सामने नहीं रखा जा सकता था।

बावजूद इसके कमेटी के चेयरमैन यूपी काडर के आईएएस ऑफिसर रहे एससी गुप्ता, सदस्य केएस क्रोफा और केसी समरिया ने यह जानते हुए भी कि इस कंपनी के आवेदन पत्र के स्क्रीनिंग नहीं हुई है, उसे थेसबोरा ब्लॉक आवंटित कर दिया। यही नहीं, मध्यप्रदेश सरकार ने बीएलए इंडस्ट्रीज के लिए यह कोल ब्लॉक लिखित तौर पर आवंटित करने की अनुशंसा की थी।

रंजीत सिन्हा ने ऐसे दी अपनी चहेती कंपनी को राहत

जब इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने इस मामले में तमाम सबूत मिलने के बाद कोयला सचिव रहे एससी गुप्ता, कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव क्रोफा, निदेशक (कोयला) रहे केसी समरिया और आवंटी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की बात की तो पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने जांच बंद करने के निर्देश दिए। और तो और इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल करने के निर्देश भी दे दिए। यह बात इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने एक सवाल के जवाब में कोर्ट में कही। ऑफिसर कहा कि मेसर्स कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड के मामले में क्लोजर रिपोर्ट तत्कालीन निदेशक रंजीत सिन्हा के आदेश से ही उन्होंने दाखिल की है।

दिलचस्प तथ्य यह है कि रंजीत सिन्हा ने यह जांच बंद करने के आदेश उस वक्त दिए जब सीबीआई की पड़ताल के दौरान कंपनी के मालिक पवन कुमार अहलूवालिया के घर से 700 करोड़ रुपए नकद मिले थे।

मध्यप्रदेश के ताकतवर आईएएस की बात भी नहीं सुनी कमेटी ने

यही नहीं मध्यप्रदेश काडर के आईएएस ऑफिसर एसके मिश्रा, जो इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव होने के साथ ही जनसंपर्क, कृषि उद्योग, एनआरआई विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग देख रहे हैं, ने यह बात स्पष्ट तौर से कुबूल की है कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार का पत्र भी दिखाया और केएसएसपीएल के आवेदन पत्र अपूर्ण होने सरीखी तमाम कमियों की तरफ ध्यान भी दिलाया था। गौरतलब है कि इस मामले में आरोपियों पर 120 बी, आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई करने की बात विवेचना अधिकारी ने अपनी विवेचना में कही थी।

पहले भी उठी है सिन्हा पर उंगली

सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर रहे रंजीत सिन्हा पर भले ही सीबीआई के अंदर से उंगली पहली बार उठी हो, लेकिन हकीकत यह है कि इससे पहले भी उनके कामकाज को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका संख्या 463/2012 , कॉमनकॉज एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दाखिल अंतरिम आवेदन पत्र संख्या 37 में भी रंजीत सिन्हा के फैसलों को लेकर उंगली उठाई गई थी। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में यह कहा कि रंजीत सिन्हा के खिलाफ किसी प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी नियुक्त नहीं की गई है, लेकिन अपीलकर्ता को अवसर दिया कि वह सक्षम अदालतों में इस मामले को उठा सकता है।

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