लखनऊ: केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अगड़ी जाति के एक वर्ग में उपजे असंतोष को थामने की दिशा में कदम बढ़ाया है। उत्तर प्रदेश में स्पष्ट बहुमत की सरकार किसी भी राजनैतिक दल ने तभी बनाई है जब उसे ब्राह्मण मतदाताओं का खुलकर साथ मिला हो और ठाकुरों ने भी एक साथ उसी दल को वोट दिया हो। पांडेय को अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने 11 फीसदी उन ब्राह्मण मतदाताओं को सहेजने की दिशा में पहल की है, जो बीते दिनों अपनी उपेक्षा का दम भरते हुए मोहभंग के शिकार हो रहे थे।
महेंद्र पांडेय की ताजपोशी के बाद कलराज मिश्रा को मंत्रालय से हटाकर नई जिम्मेदारी दिया जाना तय माना जा रहा है। सरकार और संगठन में किए जा रहे इस फेरबदल के तहत कलराज मिश्रा राज्यपाल बनाए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के मंत्री रहे पूर्व सांसद और अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे लालजी टंडन को भी किसी राज्य में राज्यपाल का पद दिया जाना है। दिल्ली के नेता विजय मेहरोत्रा भी राज्यपाल बनाए जा सकते हैं।
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राज्य में 11-12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता
उत्तर प्रदेश में 11-12 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। करीब 25 सीटों पर इनका सीधा और ज्यादा प्रभाव है। इनमें कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, वाराणसी, भदोही, इलाहाबाद, अलीगढ, फैजाबाद, कानपुर, कानपुर देहात, बुलंदशहर, नोएडा, अलीगढ, उन्नाव, सहारनपुर, सीतापुर, श्रावस्ती, शाहजहांपुर, सुल्तानपुर, लखनऊ सीटें शुमार हैं। आरक्षित सीटों के नतीजे अपने पक्ष में करने में भी ब्राह्मण मतदाताओं का रुझान काम आता है। उत्तर प्रदेश में मायावती ने 2007 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण को वोट के रूप में संगठित कर स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। इसी के बाद से राज्य के चुनाव में ब्राह्मण वोट बैंक के रुप में सभी राजनैतिक दलों के रूप में उभरा। विधानसभा की तकरीबन 100 सीटें ऐसी हैं जिन्हें ब्राह्मण मतों के समर्थन के बिना अपना परचम नहीं लहराया जा सकता है।
पूर्वांचल बना सत्ता का मजबूत केंद्र
महेंद्र नाथ पांडेय के अध्यक्ष बनने के बाद मुख्यमंत्री और अध्यक्ष दोनों महत्वपूर्ण पद यानी सरकार और संगठन के मुखिया का पद दोनों पूर्वांचल से हो गया है। इस असंतुलन को साधने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और महेंद्र नाथ पांडेय दोनों पर ही होगी। इनकी नियुक्ति के बाद पूर्वांचल का वाराणसी सत्ता का मजबूत केंद्र बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय दोंनों के संसदीय क्षेत्र अगल-बगल हैं।
सत्ता और सरकार के बीच होगा बेहतर संतुलन
केशव प्रसाद मौर्य के अध्यक्ष रहते पार्टी ओबीसी प्रभुत्व वाली दिख रही थी। हालांकि, बीजेपी का चरित्र रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व चाहे जिस जाति का हो लेकिन राज्य में ओबीसी नेताओं को तरजीह मिलती रही है। मौर्य प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दोनों पदों पर थे। इसके चलते संगठन और सरकार के बीच भी रस्साकशी कई बार दिखी। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को कहना पड़ा, कि 'संगठन ही सरकार बनाता है।' उन्होंने संगठन की महत्ता को
सरकार के सामने ठीक से स्थापित किया। स्वतंत्र प्रदेश अध्यक्ष होने से सत्ता और सरकार के बीच संतुलन बेहतर हो सकेगा। केशव मौर्य के रहते यह संतुलन साधना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा था। अब महेंद्र नाथ पांडेय इस संतुलन की धुरी बनेंगे।
एक नजर: महेंद्र नाथ पांडेय का सफर
15 अक्टूबर 1957 को गाजीपुर (सैदपुर) के पखनपुर गांव मे जन्मे डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय वाराणसी के विनायका में रहते हैं। हिंदी साहित्य में एमए,पीएचडी के साथ ही मास्टर ऑफ जर्नलिज्म की भी डिग्री उन्होंने हासिल की। उनकी पूरी शिक्षा-दीक्षा वाराणसी में हुई है। सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में वह 1973 में अध्यक्ष चुने गए। इसी कड़ी में वह 1978 में बीएचयू के महामंत्री बने। आपातकाल में डॉ. पांडेय पांच माह डीआरडीए के तहत जेल भेजे गए। आरएसएस से छात्र जीवन से जुड़े रहने के साथ समाजसेवा में सक्रिय रहे। डॉ. पांडेय को रामजन्म भूमि आंदोलन में मुलायम सरकार ने रासुका के तहत निरुद्ध भी किया था।
1991 में पहली बार बीजेपी के विधायक बने
पहली बार वर्ष 1991 में वह बीजेपी के टिकट पर सैदपुर से विधायक बने। बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार में डॉ. पांडेय नगर आवास राज्य मंत्री, नियोजन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पंचायती राज मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे। अगर संगठन की बात की जाए तो बीजेपी ने संगठन में उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत प्रदेश के महामंत्री के पद पर भी रखा था। वर्तमान में महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से सांसद हैं। डॉ. पांडेय को 16वीं लोकसभा में चंदौली से बीजेपी ने टिकट दिया इसमें उन्हें 4 लाख14 हजार 134 वोट मिले। वहीं, दूसरे नंबर पर रहे बसपा के अनिल मौर्य रहे। इस समय वह मेंबर कमेटी ऑफ रूरल डेवलपमेंट तथा मेंबर ऑफ बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सदस्य हैं। इस पद के लिए पांडेय के अलावा संजीव बालयान के नाम पर भी पार्टी के भीतर चर्चा हुई थी। वह कृषि राज्य मंत्री हैं। बालियान का कोई भी लंबा सांगठनिक अनुभव नहीं है। महेंद्र पांडेय बीजेपी के नेता और केंद्र में एमएसएमई विभाग के मंत्री कलराज मिश्र के करीबी रिश्तेदार भी हैं।