लखनऊ: बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है, कि 'अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनेगा। मस्जिद उससे थोड़ी दूर हटकर बनानी चाहिए।' रिजवी ने कहा, 'मस्जिद को मस्जिद-ए-अमन कहा जाना चाहिए।'
वसीम रिजवी ने कहा, कि 'हमने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है। विवादित स्थल पर मंदिर है, मस्जिद नहीं। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया, इसलिए यह झगड़े का कारण बना। मीर बाक़ी ने जबरन मस्जिद बनाई। पुरातत्व विभाग को भी मंदिर के अवशेष मिले हैं।'
मीर बाक़ी ने बनाया था मंदिरों के बीच मस्जिद
शिया बोर्ड ने सोमवार को कहा, कि '16वीं शताब्दी की शुरुआत में बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने मंदिरों के बीच में मस्जिद का निर्माण कराया था।' बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बयान में कहा, 'मीर बाकी बाबर की सेना का कमांडर था। वह शिया था। हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ मुगल सेना ने उसका इस्तेमाल किया था। 1528-29 में मंदिरों के बीच में एक बड़ी मस्जिद बनवाई। उसने झगड़े को पैदा किया।'
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बाबर-मीर बाकी के नाम पर नहीं होगा मस्जिद का नाम
रिजवी ने कहा, 'शिया वक्फ बोर्ड ने यह तय किया है कि आपसी समझौते से विवादित स्थल से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में एक मस्जिद का निर्माण कराया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड मस्जिद का नाम बाबर या फिर उसके सेनापति मीर बाकी के नाम पर नहीं रखेगा। उन्होंने कहा, 'बोर्ड चाहता है कि मस्जिद का नाम ऐसा हो कि सारे विवादों को ही समाप्त कर दे। नई मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाएगा।
ईरान के मौलवी भी शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में
रिजवी ने कहा, 'इराक और ईरान के शीर्ष मौलवियों ने भी राय दी है कि इस मामले में किसी भी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। इस मसले का समाधान बातचीत और दोस्ताना माहौल में होना चाहिए।' रिजवी ने कहा कि उस दौर में मीर बाकी की वजह से हिंदुओं और मुस्लिमों में विवाद हुआ और हजारों लोगों की जानें चली गईं। उन्होंने कहा, 'आज वहां मस्जिद नहीं है, लेकिन विदेशों से आतंकवाद फैलाने के लिए फंड हासिल करने वाले कुछ मुस्लिम धर्मगुरु इस्लाम की छवि को खराब कर रहे हैं।'