BHU ने दी किसानों को सौगात, अब सूखे में भी लहलहाएगी धान की फसल

Update:2016-04-26 15:18 IST

वाराणसी: धान की पैदावार करने वाले देश के किसानों को अब सूखा पड़ने या कम वर्षा से परेशान होने की जरूरत नहीं है। बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान ने धान की ऐसी पांच प्रजातियों को तैयार किया है जिनसे कम पानी व समय में ज्यादा फसल की पैदावार होगी। खास बात ये है कि इन प्रजातियों को यूपी सरकार ने चयनित भी कर लिया है।

जल्द नई प्रजातियां बाजार में होंगी

अगले सीजन में इन धान की नई प्रजातियों के बाजार में आने की उम्मीद है। संस्थान द्वारा खोजी गई पांच प्रजातियों को राज्य सरकार ने भी चयनित कर लिया है। कृषि निदेशालय ने पूरी रिपोर्ट बीएचयू से मांगी है। दस मई तक रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।

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प्रमुख सचिव संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक में करेंगे और तमाम पहलुओं पर चर्चा करने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार नोटिफिकेशन जारी करेगी।

कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो.आरपी सिंह ने क्‍या कहा-

स्टेट वेराइटी रिलीज कमेटी ने धान की पांच प्रजातियों को चयनित किया है। सभी प्रजातियों की रिपोर्ट तैयार करना संभव नहीं है। प्रदेश सरकार के बाद केंद्र सरकार से नोटीफिकेशन जारी होने के बाद कम पानी और कम समय में अधिक पैदावार वाली प्रजातियां किसानों के बीच आ जाएंगी।

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ये हैं नई प्रजाजियां

आरपी सिंह के अनुसार खोजी गई नई प्रजातियों में एचयूआर 1301-1304 है जो महज 100 से 105 दिन में 10 फीसदी ज्यादा पैदावार हो जाएगी। एचयूबीआर 1202 बासमती की प्रजाति है जिसकी 125 से 130 दिन में पैदावार 12 फीसदी ज्यादा होगी। स्थानीय सुगंधित प्रजाति एचयूआर 1308 व 1309 की पैदावार 125 से 130 दिन में २० प्रतिशत से ज्यादा होगी।

किसानों ने भी किया परीक्षण

कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक सिंह ने बताया कि किसानों ने इन प्रजातियों की बुआई करके देखा है कि इनकी उपज कम समय हो जा रही हैं और इसके लिए बारिश के बाद खेतों में पानी के लिए किसी और साधन की जरूरत नहीं पड़ रही है क्योंकि इन प्रजातियों की पैदावार बारिश के सीजन में हो जाता है।

ये होंगे फायदे

-संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई धान की विशेष प्रजाती किसानों को बर्बाद होने से रोकने में सहायक साबित होगी।

-दो प्रजातियां एचयूआर 1301 व 1304 किसानों के लिए सबसे ज्यादा लाभकारी हैं।

-दोनों प्रजातियों से कम समय और कम पानी में अधिका पैदावार होगी।

इन छात्रों ने किया टेस्‍ट

-आरपी सिंह की देखरेख में शोध छात्र प्रकाश सिंह, मुकेश सिंह और रविश कुमार ने इन प्रजातियों का टेस्ट किया।

-पाया गया कि धान की ये नई प्रजातियां कम अवधि में ही तैयार हो जा रही हैं। अन्य प्रजातियों के मुकाबले उपज भी ज्‍यादा है।

-स्टेट वेराइटी रिलीज कमेटी ने धान की पांचों प्रजातियों को चयनित किया है।

गेहूं, धान, टमाटर और अरहर के जीनोम पर भी किया गया शोध

-केंद्र सरकार से नोटीफिकेशन जारी होने के बाद अगले सीजन में धान की इन नई प्रजातियों के बाजार में आने की उम्मीद है।

-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की मानें तो जलवायु परिवर्तन से भूमंडलीय औसत तापमान बढ़ रहा है।

-जिससे सूखा, बाढ़, जमीन का खारापन आदि की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इससे फसलों की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

-आईसीएआर के अनुसार गेहूं, धान, टमाटर और अरहर के जीनोम पर भी शोध किया गया है।

-इसमें सबसे पहले धान पर कार्य 2005 में पूरा किया गया, फलस्वरुप अब धान में जीनोम शोध का प्रतिफल किसानों के लिए नई प्रजातियां में आना शुरु हो गया है।

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