अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने आज गुजरात के अहमदाबाद में लगभग एक लाख करोड़ रुपए की लागत वाली महत्वाकांक्षी अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। सरकार की माने तो भारत और जापान दोनों ही मिलकर अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे और देश जब स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, उस वक्त देश की पहली बुलेट ट्रेन अपनी सीटी बजा देगी। यानि कि भारत में बुलेट ट्रेन का सपना जल्द ही हकीकत में तब्दील हो जाएगा।
यह भी पढ़ें...PM-शिंजो ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की रखी नींव, बोले- सीमा से परे दोस्ती
जापान और भारत के बीच बुलेट ट्रेन को लेकर 2015 में मेमोरेंडम साइन होना और आज आधारशिला रखने के बाद भी 125 करोड़ जनता के इस सपने को साकार करना इतना भी आसान नहीं है क्योंकि इस सपने को साकार करने के लिए देश को अहमदाबाद से मुंबई के बीच 508 किमी बुलेट ट्रेन चलाने के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रूपए का खर्च आना है। लेकिन जिस तरह भारत और जापान के संबंध मजबूत हो रहे हैं, उससे आर्थिक समस्या कुछ हद तक दूर हो गई है। इसका कारण जापान का भारत को ब्याज रहित 88 हजार करोड़ रूपए कर्ज पर देने की बात पर सहमति देना है।
ये हैं बुलेट ट्रेन की खूबियां
-गुजरात के हीरा और अन्य व्यापारियों को भारत के पहली बुलेट ट्रेन एक वरदान के रूप में मिलने जा रही है हालांकि यह सपना 125 करोड़ लोगों का है, लेकिन फिलहाल ये ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई के बीच 508 किलोमीटर का सफ़र 2 घंटे में तय करेगी।
-508 किलोमीटर की दूरी के बीच महज 12 रेलवे स्टेशन होंगे।
-बुलेट ट्रेन लगभग 480 किलोमीटर जमीन पर ही चलेगी।
-सूत्रों की माने तो मुंबई के बांद्रा के पास 7 किमी ये ट्रेन समुद्र के नीचे चलेगी।
-अहमदाबाद से मुंबई के बीच ये ट्रेन तीन राज्यों से होकर निकलेगी जिसमे गुजरात में 351 किमी, महाराष्ट्र में 156 किलोमीटर और केंद्र शासित राज्य दादर नगर हवेली में 2 किमी हिस्सा होगा।
-508 किमी की दूरी ये बुलेट ट्रेन 2 घंटे 7 मिनट में तय करेगी और यदि किसी कारण ये रुकती है तो 51 मिनट अधिक लग सकता है।
-अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन साबरमती(गुजरात), अहमदाबाद, वड़ोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, विरार, ठाणे, बांद्रा (मुंबई) होकर चलेगी ।
यह भी पढ़ें...बुलेट ट्रेन को भूल जाइए, रेल मंत्री को ट्रेन हादसे की जिम्मेदारी लेनी होगी
मोदी के मेक इन इंडिया के तहत बुलेट ट्रेन का सपना होगा साकार
भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर समझौता और आज आधारशिला रखने के बाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट तैयार करने की जिम्मेदारी भारत की है। दोनों देशो के बीच हुए समझौते के तहत जापान भारत को अपनी टेक्नोलॉजी देगा। लेकिन इसे तैयार करना हमारे देश की ही जिम्मेदारी होगी। मतलब इसके जरिए मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। बुलेट ट्रेन समझौते के तहत भारतीय इंडस्ट्री जापानी इंडस्ट्री और जापान सरकार के उपक्रमों की साझेदारी से 4 ग्रुप बनाए गए हैं। ये चारों ग्रुप ट्रैक, सिविल रोलिंग, स्टॉक इलेक्ट्रिकल और साइंस एंड टेक्नोलॉजी को संभालेंगे।
आखिर भारत ने जापान की बुलेट ट्रेन तकनीक क्यों चुनी?
भारत में बुलेट ट्रेन चलते देखने का सपना 2022 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरा हो सकता है। भारत के पड़ोसी देश जिसमें चीज और जापान प्रमुख देश है, यहां पहले से ही बुलेट ट्रेन चल रही है। लेकिन 2022 में भारत भी इस कतार में खड़ा हो जाएगा। वैसे तो चीन की बुलेट ट्रेन की टेक्नोलॉजी के कई देश कायल हैं क्योंकि यहां की टेक्नोलॉजी काफी सस्ती है। लेकिन जापान की बुलेट ट्रेन तकनीक काफी सुरक्षित मानी जाती है। पिछले कई दशकों से चल रही बुलेट ट्रेन में अभी तक एक भी हादसा नहीं हुआ है और अगर हम ट्रेन की देरी की बात करें तो वो न के बराबर ही है।
यह भी पढ़ें...मनोज सिन्हा बोले- बुलेट ट्रेन की तरह UP में मेट्रो भी BJP ही चलाएगी, सपा के बस की बात नहीं
रफ़्तार के साथ रोजगार भी देगी बुलेट ट्रेन
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने के बाद बुलेट ट्रेन की रफ़्तार और उसकी खूबियों के अलावा जो देश को फायदा पहुंचाएगा, वो है युवाओं को रोजगार देने का। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट देश में 20000 कंस्ट्रक्शन रोजगार मुहैया कराएगा। इस प्रोजेक्ट की वजह से गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्र शासित राज्य दादर नगर हवेली में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
कितना होगा किराया
मुंबई-अहमदाबाद के बीच अभी हवाई किराया 3500 से 4000 रुपए के आसपास है। लेकिन बुलेट ट्रेन में यह किराया 2700 से 3000 रुपए के बीच हो सकता है।