लखनऊ: बसपा सुप्रीमों मायावती ने सीबीआई के अंदर खींची तलवार पर चिंता जताते हुए कहा है इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस विवाद का संज्ञान ले। ताकि एजेंसी पर जनता का भरोसा फिर से कायम हो सके। मायावती ने केंद्र सरकार पर सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कहा है कि मोदी सरकार में भाजपा विरोधी संस्थानों व संगठनों को चुन—चुन कर निशाना बनाया गया है। केन्द्रीय जाँच एजेन्सी में हस्तक्षेपों के कारण पहले भी अनर्थ होता रहा है। इससे जनता के बीच भ्रांतियां पैदा हो रही हैं। मीडिया में लगातार हो रही बहसों से जनता का जांच एजेंसी पर से भरोसा डगमगा गया सा लगता है।
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पार्टी मुखिया ने कहा है कि सीबीआई में पिछले दिनों से जारी आपसी घमासान के बाद केंद्र सरकार ने आधी रात को सीबीआई निदेशक को लम्बी छुटटी पर भेज दिया और बड़े पैमाने पर तबादले किए गए हैं। स्वाभाविक तौर पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चला गया है जो अच्छी बात है क्योंकि सीबीआई की आन्तरिक कार्य प्रणाली के साथ सेन्ट्रल विजिलेन्स कमीशन (सीवीसी) की भूमिका पर भी न्यायालय को गंभीरतापूर्वक विचार करने का मौका मिलेगा। वर्तमान में यह बहुत जरूरी हो गया है। जांच एजेंसी पर लोगों का भरोसा दोबारा बहाल करने के लिये जरूरी है कि सर्वोच्च न्यायालय अति-प्रभावी रूप से वर्तमान संकट का संझान ले।
मायावती ने कहा कि सीबीआई में जो कुछ संकट छाया है। उसके लिए अफसरों से कहीं ज्यादा केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उनकी जातिवादी व साम्प्रदायिक कार्यकलापों ने हर उच्च सरकारी, संवैधानिक व स्वायत्त संस्थाओं को संकट में डाल रखा है। इस सिलसिले में हर तरफ से आवाज उठती रही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के दामन पर विजय माल्या प्रकरण, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी व राफेल लड़ाकू विमान सहित लगे तमाम धब्बे उन्हें अच्छे लगते हैं। उसकी कोई उचित जांच तक नहीं कराई जाती है, पर बीजेपी-विरोधी पार्टियों व अन्य सभी संगठनों/संस्थाओं के खिलाफ सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करके इनको चुन-चुनकर द्वेषपूर्ण कार्रवाईयों का निशाना बनाने का काम लगातार पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों से किया जाता रहा है, नतीजतन सरकारी संस्थाओं पर से लोगों का भरोसा कम हुआ है, इसका समाधान जरूरी है।