नई दिल्ली: हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में सुरक्षा बलों की ओर से इस्तेमाल किये जा रहे 'पैलेट गन' को लेकर खासा विवाद रहा है। लेकिन अर्धसैनिक बलों ने घाटी में पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर साफ कर दिया है कि बेहद चरम स्थितियों में पैलेट गन इस्तेमाल होता रहेगा। वैसे सीआरपीएफ की डीजी के. दुर्गा प्रसाद ने उम्मीद जताई कि भविष्य में दोबारा ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
हालात बेकाबू होने पर करते हैं इस्तेमाल
दिल्ली में वार्षिक सम्मेलन के दौरान डीजी के. दुर्गा प्रसाद ने कहा, पैलेट गन के इस्तेमाल के चलते युवा घायल हुए हैं। उसके लिए माफी चाहता हूं। हम खुद ही इसे कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, इसे हम तब इस्तेमाल करते हैं जब भीड़ पूरी तरीके से अनियंत्रित हो जाती है। किसी भी दूसरे तरीके से उस पर काबू नहीं पाया जा सकता।
ये भी पढ़ें ...कश्मीर में दंगाइयों को नाकाम करने में सक्षम है पैलेट गन, पाक भी डरा
पत्थरबाजी से निपटने के लिए होता इस्तेमाल
के. दुर्गा ने कहा कि 'जवानों को ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए विशेष तरीके से प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि किस तरह वे भावनाओं में बहे बिना सही तर्कों का इस्तेमाल करें।' डीजी ने कहा, कि जम्मू-कश्मीर ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां पर इतनी बड़ी तादाद में पत्थरबाजी होती है। ऐसी स्थिति में जब स्थित बेकाबू हो जाती है तब जवानों को मजबूरन पैलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
ये भी पढ़ें ...पैलेट गन पर सपा ने कहा- इसमें सेना नहीं कश्मीरी पुलिस शामिल
घुटने के नीचे फायर के निर्देश
डीजी ने कहा कि जवानों को निर्देश दिया गया है कि जब कभी भी वह पैलेट गन का इस्तेमाल करें तो घुटने के नीचे ही फायर करें। उन्होंने कहा कि लोग अधिक लोग घायल होते हैं जब प्रदर्शनकारी काफी नजदीक आ जाते हैं। ऐसे में सामने वाले की जान जाने का डर भी बना रहता है।