मुस्लिमों में कम हो रही हैं लड़कियां, दारुल उलूम गर्भपात के खिलाफ

Update: 2016-06-08 00:54 GMT

देवबंदः देश में बेटियों की संख्या बेटों के बराबर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की है। इस बीच देश के प्रमुख इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देववंबद ने भी मुस्लिमों में लिंगानुपात के बढ़ते अंतर पर चिंता जाहिर की है। दारुल उलूम ने कन्या भ्रूण की हत्या के खिलाफ फतवा जारी किया है। दारुल उलूम ने कहा है कि ये गैरकानूनी और इस्लाम के खिलाफ है।

क्या कहा दारुल उलूम ने?

-दारुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना अशरफ उस्मानी ने कन्या भ्रूण हत्या के लिए गर्भपात को गलत बताया।

-उन्होंने कहा कि दारुल उलूम की ओर से इस बारे में पहली बार फतवा जारी किया गया है।

-उस्मानी के मुताबिक कन्या भ्रूण की हत्या गैर इस्लामी है और अल्लाह ऐसे लोगों को गलत बताते हैं।

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मुस्लिमों में लिंग अनुपात कितना?

-साल 2001 में 6 साल के 1000 बच्चों में लड़कियों की संख्या 950 थी।

-साल 2011 में ये आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों में गिरकर 943 हो गई थी।

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फतवे में और क्या?

-फतवे में कहा गया है कि मुस्लिमों को अपनी बेटियों की देखभाल अच्छे से करनी चाहिए।

-बेटियों को पहले जिंदा दफना देते थे, लेकिन कुरान में इसे गलत बताया गया है।

-मुस्लिम समुदाय में बेटियों का बहुत सम्मान होता है।

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