देवरिया केस: सीबीआई जांच की मॉनिटरिंग करेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2018-08-09 03:28 GMT

इलाहाबाद: ‎इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया बाल संरक्षण गृह में अंतःवासियों को सेक्स रैकेट में झोंकने को लेकर कायम जनहित याचिका पर सख्त रूख अपनाया है और कहा है कि कोर्ट सीबीआई जांच की मानीटरिंग करेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार व सीबीआई के अधिवक्ता से 13 अगस्त अगली सुनवाई के दिन कृत कार्यवाही व उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोंसले व न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने स्वतः प्रेरित एवं स्त्री अधिकार संगठन की तरफ से दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि सेक्स रैकेट को राजनेताओं व वीआईपी का मिल रहे संरक्षण का पता लगाये। आखिर दो कारें रोज निकेतन आती थी, बच्चियों को बाहर ले जाती थी और सुबह वापस छोड़ जाती थी, किसकी है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि जब नारी निकेतन को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था और सरकारी अनुदान बंद कर दिया गया था तो पुलिस लड़कियों को इसी सेन्टर में क्यों रखवाती थी। पुलिस के खिलाफ क्यों कार्यवाही नहीं की गयी। कोर्ट ने इतने बड़े अमानवीय कृत्य में केवल चार अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही को संतोषजनक नहीं माना। हालांकि राज्य सरकार द्वारा की गयी फौरी कार्यवाही के प्रशंसा की।

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राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपने की संस्तुति केन्द्र सरकार को कर दी है। साथ ही सेक्स रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए एसआईटी गठित कर दी है। इस मामले में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए एडीजी गोरखपुर को लगाया गया है। पुलिस की कार्यप्रणाली की जांचकर कार्यवाही की जायेगी। त्रिपाठी ने बताया कि सेल्टर होम अवैध रूप से चल रहा था, 2017 में ही लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। सेन्टर में 48 लड़कियां थी, 23 की बरामदगी की गयी, 14 को उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया। अभी भी सात लड़कियां लापता हैं। संचालिका को गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट ने सीबीआई अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश से केन्द्र के आदेश की जानकारी लेने को कहा है। कोर्ट ने वीआईपी के रैकेट के पीछे हाथ होने का पता लगाने पर बल दिया। मामले की प्राथमिकी प्रभात कुमार ने दर्ज करायी है। कोर्ट ने सोमवार 13 अगस्त को मांगी गयी जानकारी देने को कहा है।

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