नई दिल्ली: प्रबंधन के साथ बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की वार्ता शुक्रवार को विफल होने के बाद बैंककर्मियों ने 12,13 जुलाई को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। यह जानकारी यूनियन नेता सी.एच. वेंकटचलम ने दी।
प्रबंधन ने नहीं दिया ठोस प्रस्ताव
एक बयान में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव वेंकटचलम ने कहा, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ उसके सहयोगी बैंकों के विलय और आईडीबीआई के निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारियों को प्रबंधन ने कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया। केंद्र सरकार के मुख्य श्रम आयुक्त ने अपने कार्यालय में शुक्रवार को वार्ता आयोजित की थी। वार्ता में वित्त सेवा विभाग के अधिकारियों, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रतिनिधियों, एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों के प्रतिनिधियों और संघ के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
ऋणों की वसूली चिंता का कारण
वेंकटचलम के बताया, संघ के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुके बुरे ऋणों की वसूली बैंकों की असली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि एसबीआई के सहयोगी बैंकों के प्रबंधन ने कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया। केवल बयान जारी कर यह कहा कि वे संघ से बात करने को हमेशा इच्छुक हैं।
पांच बैंकों के विलय का विरोध
सरकार ने एसबीआई के साथ उसके पांच सहयोगी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के साथ ही भारतीय महिला बैंक के विलय को मंजूरी दे दी है।
45,000 कर्मचारी करेंगे हड़ताल
एआईबीईए ने प्रस्तावित विलय के विरोध में एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों के 45,000 कर्मचारियों से 12 जुलाई को हड़ताल करने का आह्वान किया है। एआईबीईए ने अगले दिन 13 जुलाई को सभी बैंकों के कर्मचारियों की हड़ताल की योजना के समर्थन की भी घोषणा की है।