गेस्ट हाउस कांड: सपा सुप्रीमो की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, SC आज सुना सकता है फैसला

Update:2016-09-14 20:43 IST

लखनऊ: यूपी में जारी सियासी संकट के बीच समाजवादी पार्टी की मुश्किलें काम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सपा सुप्रीमो अभी अपने परिवार में चल रहे घमासान को थम भी नहीं पाए थे कि उनके और भाई शिवपाल यादव के लिए नई मुश्किल आ खड़ी हुई है।

दरअसल, आज यूपी की सियासत को नई दिशा देने वाले स्टेट गेस्ट हाउस कांड पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। यदि इस पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विपरीत आया तो सपा नेताओं की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। बता दें कि 21 साल पहले हुए बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड में मायावती ने सपा नेताओं पर जानलेवा हमला करने का केस दर्ज कराया था।

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फैसला क्यों है महत्वपूर्ण?

अभी हालिया घटनाक्रम में जहां शिवपाल यादव और अखिलेश यादव आमने-सामने हैं। वहीं यदि इस मामले पर फैसला शिवपाल और मुलायम सिंह के खिलाफ जाता है तो इसका सीधा नुकसान आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी को होगा। दूसरी तरफ, बीएसपी के लिए यह वरदान साबित हो सकता है।

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क्या है गेस्ट हाउस कांड?

बीएसपी सुप्रीमो मायावती 2 जून 1995 की उस घटना को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं। उस दिन कुछ भी कर गुजरने के उन्माद के साथ भीड़ सबक सिखाने के नाम पर मायावती पर हमला करने को आमादा थी। उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ही थे। मायावती का आरोप है कि उस उन्मादी भीड़ के पीछे भी सपा सुप्रीमो का ही हाथ था।

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मायावती क्यों थी निशाने पर

साल 1993 में सपा-बीएसपी के बीच चुनावी समझौता हुआ था। चुनाव में इस गठबंधन की जीत हुई थी। इसके बाद मुलायम सिंह यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने। फिर आपसी मनमुटाव की वजह से 2 जून, 1995 को बीएसपी ने सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। बीएसपी की ओर से इस घोषणा के वक्त मायावती, मीराबाई मार्ग स्थित गेस्ट हाउस में ठहरी हुई थीं। समर्थन वापस लेने के कारण मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। नाराज सपा कार्यकर्ताओं और विधायकों ने स्टेट गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया था।

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बीजेपी विधायक ने बचाया था

मायावती स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं। उस समय अपनी जान पर खेलकर उन गुंडों से अकेले भिड़े थे बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी। उन्होंने गेस्टहाउस का दरवाजा तोड़कर मायावती को बाहर निकाला था। मायावती इसके लिए लगातार उनका शुक्रिया अदा करती रही हैं। यहां तक कि बीजेपी से रिश्ते तोड़ने के बावजूद वह कई बार ब्रह्मदत्त द्विवेदी की तारीफ कर चुकी हैं।

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