कल्बे ने 'जय राम' से की शुरुआत, कहा- मुस्लिमों को मॉडर्न एजुकेशन की जरूरत
बाराबंकी: राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर देश की सियासत एक बार फिर गरमाने लगी है। इसी बीच मुस्लिम समुदायों में भी राम मंदिर को लेकर बढ़ी सक्रियता दिखने लगी है। इसी क्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट मौलाना कल्बे सादिक ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी, कि 'मंदिर जरूर बनना चाहिए। मंदिर नहीं विद्या का मंदिर बने।'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट मौलाना कल्बे सादिक ने राम मंदिर के सवाल पर जवाब की शुरुआत 'जय राम' के उच्चारण से करते हुए कहा, कि मंदिर जरूर बनना चाहिए। मंदिर नहीं विद्या का मंदिर बने।' सादिक ने आगे कहा, कि 'यह विवाद जब लोग सुलझाना चाहेंगे तो खुद-ब-खुद सुलझ जाएगा। नहीं सुलझाना चाहेंगे तो कभी नहीं सुलझेगा। लेकिन इस विवाद को अब सुलझा देना चाहिए।' दरअसल, मौलाना कल्बे सादिक बाराबंकी में जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने आए थे।
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चर्च के साथ स्कूल जरूर होता है
अपने सम्बोधन में कल्बे सादिक ने मुस्लिम समाज पर तंज कसते हुए कहा, कि 'आप मस्जिद जरूर बनाएं, लेकिन ईसाईयों से सीखें। ईसाईयों का जहां चर्च होता है उससे जुड़ा एक स्कूल जरूर होता है। लेकिन हमारे यहां कितनी मस्जिदें हैं जहां एजुकेशन इंस्टीट्यूट हैं।'
फिर आपको हिंदू भी सपोर्ट करेगा
शियाओं के धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने आगे कहा, कि 'मुस्लिमों को बेहतर मॉडर्न एजुकेशन की जरूरत है। हम जब एजुकेशन की बात करते हैं तो हमारा मतलब होता है मॉडर्न एजुकेशन। हम कभी धार्मिक एजुकेशन को लेकर नहीं कहते। उन्होंने कहा, कि धार्मिक एजुकेशन भी जरूरी है, लेकिन मॉडर्न एजुकेशन सबसे ज्यादा जरूरी है। इसलिए मुस्लिम इस लक्ष्य से मस्जिद बनाएं कि उसके साथ एजुकेशन इंस्टीट्यूशन जरूर बनाएंगे। फिर देखिए आपको हिंदू भी सपोर्ट करेगा।'
मुझे मुसलमानों से समस्या आई है लेकिन हिन्दुओं से नहीं
मौलाना कल्बे सादिक ने कहा, कि 'मुझे मुसलमानों से समस्या आई है लेकिन हिन्दुओं से कभी कोई समस्या नहीं आई। हिन्दुओं ने मुझे हमेशा इज्जत और प्यार दिया है। अगर आप मुसलमानों से दीन का मतलब पूछेंगे तो वह यही कहेंगे कि नमाज पढ़ना, रोजे रखना, हज करना दीन है। जबकि ये सब धार्मिक प्रथाएं हैं। इसका दीन से कोई लेना देना नहीं है।' सादिक बोले, 'यह विवाद जब लोग सुलझाना चाहेंगे तो खुद-ब-खुद सुलझ जाएगा। नहीं सुलझाना चाहेंगे तो कभी नहीं सुलझेगा।'