नई दिल्ली: पुलिस के ज्यादातर अफसर शिकायत मिलने के बाद भी अपने विभागीय कर्मचारी या अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते है बल्कि उनके बचाव में उतर आते है। इस तरह के आरोप लगाते हुए आपने अक्सर कई लोगों को सुना होगा। मीडिया में इस तरह की खबरें कई बार सुर्ख़ियों में भी बनी है।
लेकिन आज हम आपको एक ऐसे केस के बारे में बताने जा रहे है जिसमें देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई ने न केवल घूसखोरी की शिकायत मिलने पर अपने ही सीनियर अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। बल्कि उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए भी लिख दिया है।
गौर करने वाली बात ये है कि जिस अफसर पर ये केस दर्ज किया गया है वह उसी जांच एजेंसी(सीबीआई) में नम्बर दो की हैसियत रखता है।
ये है पूरा मामला
द सन्डे एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक एफआईआर में राकेश अस्थाना को मुख्य आरोपी माना गया है। उन पर कथित तौर पर एक कारोबारी से घूस लेने का आरोप है। खास बात है कि अस्थाना की अगुवाई वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी ही मोइन कुरेशी भ्रष्टाचार मामले में उस कारोबारी को लेकर पूर्व में जांच कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने इस मामले में टेलीफोन बातचीत, व्हाट्सऐप संदेश, पैसे के आवागमन की जानकारी और बयान मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए हैं। सीबीआई ने इससे पहले 21 सितंबर को कहा था कि, “इस बारे में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सूचना दे दी गई है कि हम भ्रष्टाचार के छह मामलों में अस्थाना को लेकर जांच कर रहे हैं।”
इसके जवाब में आस्थाना ने सरकार को दी लिखित शिकायत में कहा था कि, सीबीआई डायरेक्टर उनके कामकाज में रुकावट डाल रहे हैं, जांच-पड़ताल में दखल दे रहे हैं और उनकी छवि खराब कर रहे हैं।
दरअसल सीबीआई ने दुबई के एक बिचौलिये मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था। उसे हैदराबाद के कारोबारी सना सतीश की शिकायत पर पकड़ा गया था। इसके बाद ही राकेश आस्थाना का नाम जांच में शामिल किया गया था। सीबीआई की एसआईटी टीम उन्हीं को लेकर कुरेशी भ्रष्टाचार मामले में जांच कर चुकी है।
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