SC में महात्मा गांधी मर्डर में दोबारा जांच की मांग, एमिकस क्यूरी अप्वाइंट
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या महात्मा गांधी की हत्या के मामले में और जांच की जरूरत है, शुक्रवार को याचिकाकर्ता द्वारा पेश सामग्री की जांच के लिए वरिष्ठ वकील ए. सरन को नियुक्त किया।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या महात्मा गांधी की हत्या के मामले में और जांच की जरूरत है, शुक्रवार को याचिकाकर्ता द्वारा पेश सामग्री की जांच के लिए सीनियर एडवोकेट और पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र सरन को कोर्ट की मदद के लिए एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) अप्वाइंट किया।
जस्टिस एस.ए. बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने सरीन को मुंबई निवासी याचिकाकर्ता आईटी पेशेवर पंकज चंद्रा फडनीस द्वारा पेश सामग्री की जांच करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने हालांकि कहा कि प्रथम दृष्टया उन्हें नहीं लगता कि पेश की गई सामग्री जांच आगे बढ़ाने का आदेश देने के लिए पर्याप्त है।
बेंच ने सरन से कहा कि हमारा मानना है कि मामले का असेसमेंट करने के लिए उसका ऑब्जर्वेशन करना जरूरी नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख नियत की है।
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याचिकाकर्ता अपने मामले पर बहस के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि गांधी की हत्या में तीन लोग शामिल थे और नाथूराम गोडसे सहित सिर्फ दो व्यक्तियों को मौत की सजा मिली।
कोर्ट ने पिटीशनर से कहा कि इस मामले में आपके हिसाब से तीसरा शख्स भी शामिल था, क्या वह ट्रायल का सामना करने के लिए आज जिंदा है?" सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इस मामले में किसी संगठन को दोषी नहीं ठहरा सकते, कोई जिंदा हो तो बताइए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में मौत की सजा 15 नवंबर 1949 को दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया, इसलिए गांधी की हत्या के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं देखा। बता दें कि महात्मा गांधी को 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी।
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