नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 5 राज्यों में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसीलिए स्वयं चुनावी राज्यों के जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं से फोन पर बात कर उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। इसके बाद से राहुल टेंशन में नजर आने लगे हैं, क्योंकि उन्हें कांग्रेस की कई बड़ी समस्याएं पता चलीं है जो चुनाव बिगाड़ सकती हैं।
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फोन पर क्या पता चला राहुल को
हमारे सूत्रों ने बताया कि राहुल को तेलंगाना के कार्यकर्ताओं ने बताया कि राज्य में ऊपर से नीचे तक पार्टी में कोई अनुशासन नहीं है। बड़े नेताओं की गुटबाजी और उनका घमंडी स्वाभाव पार्टी से न सिर्फ वोटर्स को बल्कि कार्यकर्ताओं को भी दूर कर रहा है।
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सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश से राहुल को पता चला कि कहने को तो ज्योत्रिरादित्य और कमल नाथ एक साथ हैं लेकिन अंदर खाने में उनके गुट बंटे हुए हैं। दोनों एक दूसरे की काट खोजते रहते हैं। वहीँ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह तो दोनों को ही निपटाने में लगे हैं। इसके साथ ही जिले और राज्य के अन्य नेता भी सिर्फ अपना लाभ देख रहे हैं। उनको पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि ऐसा ही राजस्थान के कार्यकर्ताओं से फोन पर बात करने के बाद राहुल को पता चला कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत की एक मजबूत लॉबी है। जो जयपुर से दिल्ली तक काम करती है। दोनों के समर्थक बंटे हुए हैं। बड़े नेताओं की जनसभा ये अपने चहेतों के इलाकें में ही लगाते हैं। पार्टी जिलाध्यक्ष से कभी कोई मीटिंग या संवाद नहीं होता है। पार्टी यहां वापसी कर सकती है लेकिन यदि ऐसे ही गुटबाजी चलती रही तो ये मौका हाथ से निकल जाएगा।
इसी तरह सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के कार्यकर्ताओं ने तो एक सुर में कहा कि कांग्रेस पार्टी को यहां अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए। राज्य कमेटी को भंग कर नई कमेटी का गठन होना चाहिए।
सूत्रों ने आगे बताया कि सभी की बात सुनने के बाद राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस अब ये तय करेगी कि जब चुनावी निर्णय लिए जाएं तब जिले की इकाई को भी इनमें शामिल किया जाए। जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ मिलकर राज्य कमेटी को काम करना चाहिए। छत्तीसगढ़ का हाल भी कुछ ऐसा ही है।
लगभग एक घंटे चली इस वार्ता के बाद राहुल जल्द से जल्द बड़े नेताओं को कड़े निर्देश दे सकते हैं क्योंकि कांग्रेस के अंदर ऐसा माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी मजबूत स्थति में है और गुटबाजी न सिर्फ राज्यों में सत्ता से दूर ले जाएगी बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिलेगा।