नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की जगह लेने वाली नई संस्था स्वायत्त होगी और उसकी अलग-अलग दो शाखाएं होंगी। इसमें एक शाखा क्रियात्मक नियमन व दूसरी शाखा उच्च शिक्षा संस्थानों को अनुदान देने का कार्य करेगी।
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लोकसभा में सदस्यों द्वारा मुद्दे को उठाए जाने के बाद जावड़ेकर ने कहा, "हम यूजीसी को नौकरशाही निकाय में नहीं बदल रहे हैं। यह स्वायत्त होगी। हम सिर्फ नाम बदलेंगे। यह शिक्षा की गुणवत्ता व मानकों को बरकरार रखने पर ध्यान देगी।"
वह सरकार द्वारा लाए जा रहे भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक, 2018 को लेकर कुछ सदस्यों की तरफ से उठाई गई आशंका पर जवाब दे रहे थे। यह विधेयक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम, 1956 को निष्प्रभावी करता है।
मंत्री ने कहा कि यूजीसी को 1956 में बनाया गया था, जब देश में 20 विश्वविद्यालय, 500 कॉलेज और करीब 200,000 छात्र थे।
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लेकिन, देश में अब 900 विश्वविद्यालय, 40,000 कॉलेज व 3.5 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी हैं।
नया कानून देश में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए स्पष्ट तौर पर उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के समतुल्य लाने का प्रस्ताव देता है।
कांग्रेस के के.सी.वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा कि क्या हितधारकों व जनता से इन बदलावों को लाने से पहले राय मांगी गई है?
जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रालय को विभिन्न लोगों द्वारा 10,000 से ज्यादा प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं और सरकार उनकी समीक्षा कर रही है।
उच्च शिक्षा आयोग अधिनियम को 'नई बोतल में पुरानी शराब' कहते हुए, अन्नाद्रमुक के सदस्य एम. थंबीदुरई ने कहा, "वे नए विधेयक के बजाय यूजीसी को मजबूत क्यों नहीं करते?"