Maharashtra Politics: डिप्टी सीएम समेत अहम मंत्रालयों पर शिंदे सेना की दावेदारी,CM पद की कुर्बानी को बनाया आधार
Maharashtra Politics: सियासी जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री पद की दावेदारी छोड़ने के बाद शिंदे सेना की ओर से दबाव की राजनीति की जा रही है। भाजपा बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश में जरूर जुटी हुई है मगर पार्टी किसी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे की घोषणा के एक सप्ताह बाद भी अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो सका है। शिवसेना के शिंदे गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपने पांव जरूर वापस खींच लिए हैं मगर उनकी पार्टी डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय समेत राज्य के अहम विभागों की मांग पर अड़ गई है। शिंदे सेना की ओर से दलील दी जा रही है कि जब पार्टी ने सीएम पद के लिए कुर्बानी दे दी है तो पार्टी को अहम और मलाईदार मंत्रालय जरूर मिलने चाहिए।
शिंदे सेना पहले भाजपा की ओर से सीएम चेहरे के ऐलान का इंतजार कर रही है। जानकारों का कहना है कि सीएम पद भाजपा को देने पर एकनाथ शिंदे ने सहमति जरूर जता दी है मगर अहम मंत्रालय को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन सकी है। सीएम पद की घोषणा से पहले ही अहम मंत्रालयों को लेकर जबर्दस्त खींचतान की स्थिति दिख रही है। भाजपा की ओर से गृह मंत्रालय समेत अन्य अहम विभागों की दावेदारी स्वीकार न किए जाने से एकनाथ शिंदे नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें शिंदे सेना के अगले कदम पर लगी हुई हैं।
अहम मंत्रालयों पर शिंदे गुट की निगाह
दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक के बाद एकनाथ शिंदे सतारा स्थित अपने गांव चले गए थे। शिंदे के आज मुंबई लौटने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि अमित शाह के साथ हुई बैठक के दौरान यह संकेत जरूर दिया गया था कि मुख्यमंत्री बीजेपी का होगा मगर भाजपा की ओर से किसी चेहरे की जानकारी नहीं दी गई थी। इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे।
शिंदे सेना की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी छोड़ने के बाद अब अहम मंत्रालयों की डिमांड की जा रही है। पार्टी ने डिप्टी सीएम के साथ ही गृह मंत्रालय पर भी अपनी नज़रें गड़ा रखी हैं। इसके साथ ही उद्योग और शहरी विकास मंत्रालय समेत नौ महत्वपूर्ण विभागों की मांग रखी गई है। हालांकि भाजपा शिंदे सेना की इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है।
शिंदे गुट ने दी मजबूत दलील
महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय की मांग के साथ ही शिंदे गुट की ओर से महत्वपूर्ण दलील भी दी जा रही है। शिंदे गुट का कहना है कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा ने डिप्टी सीएम पद के साथ ही गृह मंत्रालय भी लिया था। अब हमारी इस मांग को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है।
शिंदे गुट के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा कि इस बार भी मंत्रालयों का बंटवारा उसी तर्ज पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हमने सीएम पद का परित्याग किया है तो हमारी इस कुर्बानी को ध्यान में रखा जाना चाहिए। हमें डिप्टी सीएम के साथ गृह मंत्रालय भी मिलना चाहिए।
शिंदे गुट से टकराव नहीं चाहती बीजेपी
दूसरी ओर भाजपा शिंदे गुट की इस डिमांड के आगे झुकना नहीं चाहती। दरअसल पार्टी महाराष्ट्र में यह संदेश भी नहीं देना चाहती कि वह एकनाथ शिंदे की अनदेखी कर रही है। इसका कारण यह है कि शिंदे की महाराष्ट्र में हिंदूवादी और मजबूत मराठा नेता की छवि है। ऐसे में पार्टी शिंदे गुट के साथ सामंजस्य बनाकर आगे बढ़ना चाहती है।
शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट की मांग पर भाजपा की ओर से सधा जवाब दिया गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मीडिया में बयान देने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। महायुति में शामिल तीनों दलों के नेताओं की बैठक में उचित फैसला लिया जाएगा।
इस बार नहीं चलेगा 2022 वाला फॉर्मूला
वैसे भाजपा के एक नेता ने साफ कर दिया है कि मंत्रालय के बंटवारे में 2022 वाला फॉर्मूला इस बार नहीं चलेगा। भाजपा नेता ने कहा कि 2022 में भाजपा के पास शिव सेना से दोगुने से अधिक विधायक थे। इसके बावजूद भाजपा ने सीएम का पद शिंदे गुट को दिया था। हमने करीब ढाई साल तक मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे को पूरा सहयोग दिया।
हमने डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय के साथ ही समझौता किया। देवेंद्र फडणवीस ने पांच साल तक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद डिप्टी सीएम पद पर काम किया। उन्होंने कहा कि इस बार हमारी पार्टी के अकेले 132 विधायक चुने गए हैं। ऐसे में बदली हुई परिस्थितियों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
शिंदे गुट ने अपनाई दबाव की रणनीति
सियासी जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री पद की दावेदारी छोड़ने के बाद शिंदे सेना की ओर से दबाव की राजनीति की जा रही है। भाजपा बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश में जरूर जुटी हुई है मगर पार्टी किसी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है। इस बीच भाजपा ने महाराष्ट्र की नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान कर दिया है।
मुंबई के आजाद मैदान में 5 दिसंबर को भव्य शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने की तैयारी है। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे। जानकारों का कहना है कि भाजपा विधायक दल की बैठक में जल्द ही नए नेता का चुनाव किया जाएगा और उसके बाद महाराष्ट्र में नई सरकार के स्वरूप पर चर्चाओं में तेजी आएगी। जानकारों का कहना है कि उसके बाद ही विभिन्न मंत्रालयों को लेकर नाम तय किए जाएंगे।