इस महिला आईएएस का सॉफ्टवेयर लायेगा, यूपी की न्याय व्यवस्था में नई क्रांति

Update:2017-06-16 17:37 IST

लखनऊ : एक तरफ जहाँ नौकरशाहों पर तमाम तरह के आरोप लगते रहते हैं, वहीँ कुछ ऐसे भी नाम सामने आते हैं। जो हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं, कि जब ये इतना अच्छा काम कर सकते हैं, तो बाकी के क्यों नहीं। वर्तमान में कई आईएएस काफी सराहनीय काम कर रहे हैं। इनमें हरदोई की डीएम शुभ्रा सक्सेना भी ऐसा ही नाम है, जिन्होंने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके ज़रिये न्याय प्रणाली को काफी तेज किया जा सकता है।

शुभ्रा ने यूपी के मुख्य सचिव राहुल भटनागर के साथ अपने 'सम्मन प्रबंधन प्रणाली' सॉफ्टवेयर के बारे में गहन चर्चा की। और ये कैसे काम करता है, इसका प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने एडिशनल डाइरेक्टर (कानून) अभियोजन डीपी श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार, अभियोजन अधिकारी मनमीत सूरी और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के अधिकारियों के सामने भी इसका प्रजेंटेशन दिया था।

ये सॉफ्टवेयर या ऐप गवाहों, अदालत के नाम, पुलिस स्टेशन और उसके आवासीय पते के बारे में जानकारी सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही एसएमएस के जरिए पुलिस थाने के प्रभारी और जिला एसपी के माध्यम से स्वचालित रूप से तत्काल प्रीलोडेड ईमेल पर पहुंच जाएगा। इससे अदालतों में गवाहों की उपस्थिति में मदद मिलेगी, और अदालती सुनवाई में अनावश्यक स्थगन से बचने में मदद मिलेगी।

प्रस्तावित सॉफ्टवेयर के बारे में बोलते हुए, सूत्रों ने Newstrack.com को बताया कि मुख्य सचिव ने अभियोजन विभाग को एनआईसी के साथ अन्य रूपरेखाओं पर काम करने और इसे राज्यव्यापी स्तर पर लागू करने से पहले इसकी जरुरत के बारे में एक नोट तैयार करने का निर्देश दिया था। उत्तर प्रदेश एनआईसी अब इसे और बेहतर बनाने के साथ इसे राज्य स्तर पर लागु करने की तैयारी कर रहा है।

इस सॉफ्टवेयर के चलन में आने के बाद आपराधिक मामलों की लंबी-लंबित सूची में गिरावट आएगी। यह न केवल अदालत के भार को कम करेगा बल्कि न्यायालय के सिद्ध सिद्धांत का भी ध्यान रखेगा, ‘न्याय में देरी से न्याय अस्वीकृत’ है। मुकदमे के विलंब में गवाहों की अनुपस्थिति का सबसे बड़ा कारक रहा है, जबकि अत्यधिक देरी अक्सर उन पर प्रभाव डालती है, इस सॉफ्टवेयर के चलन में आने के बाद इससे भी मुक्ति मिलेगी।

आपको बता दें, हाल में ही संपन्न हुए राज्य के आम चुनाव में निर्वाचन आयोग में अपनी तैनाती के दौरान शुभ्रा ने काफी चर्चा बटोरी थी।

कैसे काम करता है साक्षी साफ्टवेयर?

-इस साफ्टवेयर में समन और साक्षी का पूरा विवरण होता है।

-अपराध संख्या, थाना, न्यायालय का नाम, नियत तारीख, पक्षकारों के नाम व साक्षी की तैनाती के जनपद का पूरा विवरण भी इसमें दर्ज होता है।

-सॉफ्टवेयर के जरिए डिफॉल्टर श्रेणी के सम्मन, विवेचक अधिकारी और चिकित्सक के स्तर पर डिफॉल्टर सम्मनो की अलग-अलग समीक्षा की जा सकती है।

-वर्तमान में दूसरे जिलों में स्थानान्तरित साक्षियों के सम्मन वारंट संबंधित जिले की पुलिस के सम्मन सेल में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा अन्य जनपदों में जाकर तामील कराये जाते हैं।

-इससे ज्यादातर मामलो में साक्षी को नियत तारीख की सूचना देर से मिलती है।

-इस कारण नियत तारीख पर साक्षी का उपस्थित होना सम्भव नहीं हो पाता।

-जिससे मुकदमे के निस्तारण में देरी होती है।

-इससे दण्ड का प्रतिशत कम हो जाता है और न्याय मिलने में भी विलम्ब होता है।

-विलम्ब होने से साक्षी पर दबाव व प्रलोभन की भी संभावना बनी रहती है।

-इससे उसके साक्ष्य की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

-इसको ध्यान में रखकर यह व्यवस्था की गई है।

-सभी सम्मनो को उक्त सॉफ्टवेयर के जरिये दर्ज किया जाता है।

-जिससे उसी समय साक्षी के मोबाइल नम्बर पर एसएमएस पहुंच जाए।

-इसके अलावा वहां के एसएसपी के ईमेल पर डिटेल पहुंच जाएगी।

-जहां साक्षी तैनात है और जिस थाने का अपराध है। वहां के एसओ को एसएमएस पहुंच जाएगा।

-इससे सम्मन निर्गत होने की तिथि को ही साक्षी को साक्ष्य के लिए नियत तिथि का पता चल जाएगा और वह समय से कोर्ट के सामने अपना साक्ष्य प्रस्तुत कर सकेगा।

-इसके अतिरिक्त संबंधित एसओ व एसपी को सूचना होने से साक्षी को पूरा समय मिल जाएगा।

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