Waqf Bill: वक्फ बिल को लेकर क्यों निश्चिंत दिख रही मोदी सरकार, क्या है लोकसभा और राज्यसभा का नंबर गेम

Waqf Bill: रिजिजू ने पिछले साल 8 अगस्त को संसद में वक्फ बिल पेश किया था और उस समय विपक्ष की ओर से भारी हंगामा किया गया था। विपक्षी सांसदों ने मांग की थी कि यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाना चाहिए।;

Update:2025-04-01 12:13 IST

वक्फ बिल को लेकर क्यों निश्चिंत दिख रही मोदी सरकार   (photo: social media )

Waqf Bill: संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में आज यानी 2 अप्रैल को मोदी सरकार की ओर से वक्फ संशोधन बिल पेश करने जा रही है। इस बिल को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है और सत्ता पक्ष और विपक्ष खेलने से रणनीतिक दांव चले जा रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से की जा रही तैयारी को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बिल को पास कराते समय हंगामा देखने को मिल सकता है।

विपक्ष इस मुद्दे पर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटा हुआ है तो दूसरी ओर मोदी सरकार निश्चिंत नजर आ रही है। ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा का नंबर गेम जानना जरूरी है। वैसे संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया है कि विधेयक के पक्ष में सिर्फ एनडीए ही एकजुट नहीं है बल्कि इस बिल को विपक्षी इंडिया गठबंधन के भी कई सांसदों का समर्थन मिलेगा।

विपक्ष के हंगामे के बाद जेपीसी के पास भेजा गया था बिल

रिजिजू ने पिछले साल 8 अगस्त को संसद में वक्फ बिल पेश किया था और उस समय विपक्ष की ओर से भारी हंगामा किया गया था। विपक्षी सांसदों ने मांग की थी कि यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाना चाहिए। विपक्ष की मांग पर यह बिल जेपीसी के पास भेज दिया गया था।

बाद में भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अगुवाई में संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद मोदी कैबिनेट की ओर से इसे पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। अब सरकार के सामने संसद में इस संशोधित बिल को पास कराने की बड़ी चुनौती है। ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष की ताकत को जानना जरूरी है।

लोकसभा में मोदी सरकार के पास जरूरी नंबर

यदि लोकसभा की बात की जाए तो 542 सांसदों वाली लोकसभा में भाजपा के पास 240 सांसदों की ताकत है। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के पास 293 सांसद हैं। वक्फ संशोधित बिल को पास करने के लिए 272 सांसदों के समर्थन की जरूरत है और ऐसे में एनडीए के पास जादुई आंकड़े से अधिक सांसदों की ताकत है।

दूसरी ओर यदि विपक्ष की ताकत की बात की जाए तो कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 सांसद हैं। यदि इंडिया गठबंधन की ताकत को देखा जाए तो गठबंधन के पास 233 सांसदों की ताकत है। लोकसभा में आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत सिंह कौर समेत कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन में शामिल नहीं है। कुछ निर्दलीय सांसद भी ऐसे हैं जो किसी भी गठबंधन के साथ नहीं है। ऐसे में इन सांसदों का समर्थन भी महत्वपूर्ण होगा।

राज्यसभा में भी नहीं दिख रहा कोई संकट

अब यदि बात राज्यसभा की की जाए तो ऊपरी सदन में इस समय 236 सदस्य हैं। ऊपरी सदन में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और पार्टी के पास 98 सांसदों की ताकत है। यदि एनडीए की बात की जाए तो एनडीए के सांसदों की संख्या करीब 115 है। मनोनीत सांसद भी सरकार के पक्ष में ही मतदान करते रहे हैं। ऐसे में यदि छह मनोनीत सांसदों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो एनडीए की ताकत 121 तक पहुंच जाती है।

दूसरी ओर कांग्रेस के पास राज्यसभा में 27 सांसद हैं। विपक्ष में शामिल दूसरे दलों के पास 58 सांसद हैं। ऐसे में राज्यसभा में इंडिया गठबंधन के पास कुल 85 सांसदों की ताकत है। राज्यसभा में वाईएसआर कांग्रेस के 9, बीजू जनता दल के सात और एआईडीएमके के चार सांसद हैं। छोटे दलों और निर्दलीयों को मिलाकर तीन सांसद हैं जो किसी भी गठबंधन के साथ नहीं हैं। राज्यसभा में बिल पारित करने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत है और यहां भी मोदी सरकार निश्चिंत नजर आ रही है।

रिजिजू ने किया विपक्षी सांसदों के भी समर्थन का दावा

वैसे वक्फ संशोधन बिल्ड संसद में पेश किए जाने से पूर्व संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि इस विधेयक के समर्थन में सिर्फ एनडीए ही एकजुट नहीं है बल्कि विपक्षी इंडिया गठबंधन के कई सांसद भी इसका समर्थन कर रहे हैं। इन सांसदों की भी इच्छा है कि बिल को जल्द पारित किया जाना चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि भीतरी तौर पर बिल का समर्थन करने वाले कई सांसद अपने नेताओं के डर की वजह से खुलकर नहीं बोल रहे हैं। अगर रिजिजू का दावा सही साबित हुआ तो सरकार के लिए बिल को पास करने की राह और आसान हो जाएगी।

सत्ता पक्ष और विपक्ष की सियासी चालें

वक्फ संशोधन बिल को लेकर गठित की गई संयुक्त संसदीय समिति की सामने विपक्ष की ओर से 44 संशोधन प्रस्ताव रखे गए थे मगर इन सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया था। जेपीसी ने एनडीए के घटक दलों की ओर से पेश किए गए 14 प्रस्तावों के साथ अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। मोदी कैबिनेट की ओर से इस संशोधित बिल को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और अब इस बिल को संसद में पेश किए जाने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि इस बिल के पारित होने के बाद वक्फ की संपत्तियों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे मुस्लिम समाज की महिलाओं को भी मदद मिलने का दावा किया गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए यह बिल प्रतिष्ठा की जंग बना हुआ है और इस बिल को लेकर दोनों खेमों की ओर से सियासी चालें जा रही हैं। हालांकि सत्ता पक्ष इस मामले में भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है।

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