नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने बुधवार (4 जुलाई) को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी समय से चल रहे गतिरोध पर विराम लगाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने उपराज्यपाल को मंत्रीपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए कहा है।
ये भी देखें : लोकतंत्र के लिए बड़ी जीत है कोर्ट का फैसला : केजरीवाल
कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि कैबिनेट की मंजूरी न हो तो मामला राष्ट्रपति के पास ले जाया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि, ‘लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च है। सरकार जनता को उपलब्ध होनी चाहिए। केंद्र और राज्य मिलकर काम करें। शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती। जनमत का महत्व है। संसद का कानून ही सर्वोच्च है। एलजी कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें।’
ये भी देखें : केजरीवाल को हाईकोर्ट की लताड़, किसी के घर-दफ्तर में नहीं कर सकते हड़ताल
कोर्ट ने ये भी कहा है कि एलजी की सहमति अनिवार्य नहीं है। दिल्ली में अराजकता के लिए कोई जगह नहीं है। इसके अलावा उपराज्यपाल एक 'अवरोधक' के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को यह महसूस करना चाहिए कि मंत्रिपरिषद लोगों के प्रति जवाबदेह हैं और वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की सरकार के हर निर्णय को रोक नहीं सकते हैं।