नई दिल्ली: नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल लगाने के मामले में अब 3 मई से लगातार सुनवाई करेगा। गर्मी का अवकाश शुरू होने के पहले ही कोर्ट अपना फैसला सुना देगा ।29 मई को फ्लोर टेस्ट नहीं कराने का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज केन्द्र सरकार से सात सवाल पूछे ओर कहा कि इसका जवाब आगामी सोमवार तक दाखिल करें । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत से भी कहा है कि कि यदि वो इस मामले में कुछ कहना चाहते हैं तो सोमवार तक लिखित में कह सकते हैं।
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कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि 29 मई को विधानसभा में हरीश रावत को बहुमत साबित करने का मौका नहीं दिया जाएगा। अदालत ने केंद्र सरकार से संशोधित याचिका दायर करने का भी आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी हाईकोर्ट के फैसेल पर रोक
-22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से प्रेसिडेंट रूल हटाने को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। इससे पहले गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था।
याचिका में केंद्र ने उठाए सवाल
-सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में केंद्र सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
-याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है ,क्योंकि उसे राष्ट्रपति के फैसलों की समीक्षा का अधिकार नहीं है।
-इसके साथ ही कहा गया है कि इस फैसले से रिश्वत देने और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों का सामना करने वालों को भी राहत मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा
1- गवर्नर ने आर्टिकल 175 (2)के तहत जिस तरीके से फ्लोर टेस्ट के लिए सन्देश भेजा. क्या इस तरीके से संदेश भेजा जा सकता है ?
2- क्या विधायकों की सदस्यता रद्द करने का फैसला राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार हो सकता है ?
3- क्या राष्ट्रपति शासन की घोषणा करने के लिए फ्लोर टेस्ट में देरी को आधार बनाया जा सकता है ?
4- क्या राष्ट्रपति, विधानसभा की कार्रवाई का संज्ञान आर्टिकल 356 के तहत ले सकते हैं ?
5- विनियोग विधेयक की क्या स्थिति है और विनियोग विधेयक के मामले में कब राष्ट्रपति की भूमिका की जरूरत होती है ?
6- ऐसा कहा जा रहा है कि मनी बिल फेल हो गया और सरकार चली गई,लेकिन अगर स्पीकर नहीं कहता है कि मनी बिल पास नहीं हुआ तो और कौन कह सकता है ?
7 - गवर्नर और विधानसभा अध्यक्ष दोनों संवैधानिक अधिकारी हैं, तो क्या गवर्नर अध्यक्ष से वोटों के बंटवारे के लिए कह सकता है ?
स्पीकर के अधिकार में गवर्नर का दखल कैसे ?
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर सदन का मास्टर होता है. गवर्नर कैसे बोल सकता है कि वोटिंग की ऑडियो या विडियो रिकार्डिंग हो. आप (अटार्नी जनरल) कहते हैं कि मनी बिल पास नहीं हुआ, जबकि स्पीकर के रिकॉर्ड में मनी बिल पास बताया जा रहा है. ऐसे में कौन तय करेगा कि मनी बिल पास हुआ या नहीं।