नया इनकम टैक्स विधेयक: सरल नियमों पर फोकस, कोई बड़ा बदलाव नहीं

New Income Tax Bill: नया विधेयक पहले के 823 पृष्ठों की तुलना में 622 पृष्ठों के साथ अधिक संक्षिप्त और छोटा है। आयकर अधिनियम, 1961 में 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां थीं, जिन्हें अब 23 अध्यायों और 16 अनुसूचियों में 536 धाराओं में समेट दिया गया है।;

Newstrack :  Network
Update:2025-02-13 13:13 IST

New Income Tax Bill  (फोटो: सोशल मीडिया )

New Income Tax Bill: नया इनकम टैक्स विधेयक टैक्स दरों या बेसिक बदलावों से कहीं ज्यादा टैक्स प्रावधानों को इंटीग्रेट करने, अनावश्यक कानूनों को सरल बनाने या खत्म करने पर फोकस है। इस विधेयक में मौजूदा टैक्स दरों को बरकरार रखा गया है और कैपिटल गेन टैक्स नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कुल मिला कर नया विधेयक इनकम टैक्स दरों में कोई बदलाव लेकर नहीं आया है।

जैसी अटकलबाजी थी, उसके विपरीत, पुरानी टैक्स व्यवस्था को समाप्त नहीं किया गया है और यह नई व्यवस्था के साथ-साथ चलती रहेगी। बजट में घोषित दरों में से अधिकांश परिवर्तन विधेयक में शामिल किए गए हैं।

अब समझना आसान

नया विधेयक पहले के 823 पृष्ठों की तुलना में 622 पृष्ठों के साथ अधिक संक्षिप्त और छोटा है। आयकर अधिनियम, 1961 में 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां थीं, जिन्हें अब 23 अध्यायों और 16 अनुसूचियों में 536 धाराओं में समेट दिया गया है। प्रावधानों और स्पष्टीकरणों की संख्या में काफी कमी कर दी गई है और नियमों तथा अन्य धाराओं के संदर्भों को कम कर दिया गया है, जिससे कानून को समझना आसान हो गया है।

- नए प्रस्तावित कानून के तहत कुल आय का हिस्सा न बनने वाली आय को अब कानून को सरल बनाने के लिए अनुसूचियों में डाल दिया गया है।

- वेतन से कटौतियाँ जैसे कि स्टैण्डर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंटआदि को अब अलग-अलग धाराओं और नियमों में बिखरने के बजाय एक ही स्थान पर लिस्ट किया गया है।


- विधेयक में वित्तीय वर्ष की जगह ‘कर वर्ष’ की अवधारणा पेश की गई है, जिससे भ्रम की संभावना खत्म हो जाती है।

- कर वर्ष में संबंधित वित्तीय वर्ष के अप्रैल-मार्च से 12 महीने शामिल होंगे।

- कानून की भाषा को सरल बनाया गया है।


- नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट विकल्प है। इसलिए, जो करदाता पुरानी कर व्यवस्था को चुनना चाहते हैं, उन्हें नई व्यवस्था से बाहर निकलना होगा। एक बार जो चुन लिया उसे बदला नहीं जा सकेगा।

- नए स्थापित बिजनसों या आय के स्रोतों के लिए, कर वर्ष व्यवसाय की स्थापना या आय सृजन की तारीख से शुरू होगा और अगले 31 मार्च को समाप्त होगा। इस बदलाव का उद्देश्य स्टार्टअप और नए उद्यमों के लिए कर दाखिल करने की आवश्यकताओं को सरल बनाना है।

- पारदर्शिता और करदाता के अधिकारों को बढ़ाने, निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने और नौकरशाही बाधाओं को कम करने के लिए करदाता चार्टर भी पेश किया जा रहा है। इसके अलावा, बिल में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो सुझाव देते हैं कि विदेशी कंपनियों को भारतीय कर निवासियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो संभावित रूप से देश में संचालित वैश्विक व्यवसायों को प्रभावित कर सकता है।



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