लखनऊ: आगरा का ताजमहल भले ही पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचता हो और उसे विदेशों में भारत की एक अमिट पहचान के रूप में जाना जाता हो, भले ही नासा ने उसे अपनी गोल्डन रिकॉर्ड में जगह दी हो, लेकिन उसे यूपी की योगी सरकार अपना नहीं मानती है।
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इस बात को सरकार अपने पहले ही बजट में 'हमारी सांस्कृतिक विरासत कोष' में प्यार की निशानी को जगह न देकर साफ़ कर चुकी थी। लेकिन इस पर मुहर तब लग गई, जब सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा जारी ‘अद्भुत विरासत, अनूठे अनुभव’ बुकलेट में पर्यटन गंतव्य स्थलों की सूची से ताजमहल का नाम गायब मिला। हालांकि इस बुकलेट में सीएम योगी की कर्मस्थली गोरखपुर स्थित गोरक्षनाथ मंदिर को जगह दी गई है।
इस बुकलेट में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र का ध्यान रखा गया है तो सीएम योगी के कर्मक्षेत्र का भी। बीजेपी का कभी मुख्य चुनावी एजेंडा रहा रामलला जन्मस्थली अयोध्या का भी पहली बार पर्यटन विभाग की बुकलेट में ध्यान रखा गया है लेकिन सूबे में मुख्यमंत्री की मंशा के मुताबिक पर्यटन विभाग ने दुनिया के सातवें अजूबे को प्रदेश की गंतत्व स्थानों में जगह तक नहीं दी है ।
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बता दें कि बुकलेट में नाथ संप्रदाय से ही जुड़े यूपी के बलरामपुर में स्थित देवी पाटन शक्ति पीठ को भी जगह दी गई है, वहीं दो पेज सिर्फ गोरखनाथ मंदिर को दिए गए हैं। इसमें गोरखनाथ मंदिर का फोटो, उसका इतिहास और महत्व लिखा है। पहला पेज पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की गंगा आरती को समर्पित किया गया है। इस साल की बुकलेट में अयोध्या को भी शामिल किया गया है। बुकलेट के बारहवें और तेरहवें पेज में अयोध्या के बारे में विस्तार से दिया गया है। रामलीला के चित्रों को भी बुकलेट में छापा गया है।
ऐसा नहीं है कि ये सरकार या पर्यटन विभाग की किसी गलती के कारण हुआ हो। ताजमहल और सीएम योगी के बीच सालों से 36 का आंकड़ा रहा है। इसकी पहली शुरुआत बिहार के दरभंगा में हुई थी, जब सीएम योगी ने 15 जून 2017 को ताजमहल को गैर भारतीय बताया था और इसे आक्रमणकारियों द्वारा बनाई गई एक सामान्य इमारत बताई थी। तब सरकार का ये इशारा भर था कि वो जिसे दुनिया सलाम करती है, उसे वो अपना नहीं मानेंगे और सूबे के पर्यटन स्थलों में इसकी गिनती नहीं करेंगे। इसके बाद आबादी के हिसाब से भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में सीएम योगी ने जब राज्य का वार्षिक बजट पेश किया, तब इस बजट में प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक नगरों को बढ़ावा देने के लिए 'हमारी सांस्कृतिक विरासत' के नाम से एक अलग कोष आवंटित किया था। जिसमें लगभग सभी धार्मिक स्थलों को जगह दी गयी थी। लेकिन सरकार की मंशा के अनुरूप इस सूची में भी ताजमहल का नाम गायब मिला।
विकास कार्यों की सूची में भी ताज महल का नाम गायब
खास बात यह है कि पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने प्रेस कांफ्रेंस के बाद जो प्रेस रिलीज जारी की, उसमें भी ताजमहल के लिए किए जा रहे काम का जिक्र नहीं है। इसमें स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत सीतापुर, वृंदावन,गोवर्धन, बरसाना, गोकुल, चित्रकूट, कुशीनगर, बुंदेलखंड, मिर्जापुर और सोनभद्र की प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी दी गई है। गोरखपुर, डुमरियागंज और देवीपाटन के विकास के लिए भी 139 करोड़ का प्रस्ताव है। पर ताजमहल के विकास से जुड़े कामों का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
नासा भी ताजमहल को कर चुकी है सलाम
करीब 39 साल पहले नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए वॉयेजर-1 में लगे गोल्डन रिकॉर्ड में तस्वीरें भेजी गईं थी। नासा ने अंतरिक्ष में भेजे गए वॉयेजर-1 में एक गोल्डन रिकॉर्ड लगाया था, जिसमें 116 तस्वीरें जमा की थी और इन तस्वीरों में एक तस्वीर ताजमहल की भी है।
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भारत में सबसे ज्यादा कमाई वाली ईमारत है ताजमहल
उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना किनारे बना ताजमहल कमाई करने के मामले में टॉप पर है। सफेद संगमरमर से बने ताजमहल की खूबसूरती को देखने के लिए हर साल 9 से 10 लाख टूरिस्ट आते हैं।
क्या कहती है सरकार
पयर्टन विभाग की बुकलेट में गंतत्व स्थलों की सूची से ताजमहल के गायब होने पर सरकार का भी जवाब आया। लेकिन जवाब सूची से गायब क्यों हुआ? इस पर नहीं सरकार ने ताजमहल के लिए क्या किया इस पर था। सरकार ने कहा कि उसने ताजमहल के आसपास क्षेत्र के लिए 156 करोड़ रूपए वर्ल्ड बैंक की सहायता से मुहैया कराए हैं।
क्या कहती है विपक्ष
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि पर्यटन का ब्रोशर भाजपा नेताओं के चाल, चरित्र और चेहरा उजागर करता है। यह सरकार राग, द्वेष से काम कर रहे हैं। ताजमहल दुनिया में सातवां आश्चर्य है, जिसे हर साल लाखों पर्यटक देखने आते हैं। उसे भी बुकलेट से हटा दिया। यह भाजपा सरकार की संकीर्ण सोच है।