लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे। पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री होते हुए अपना कार्यकाल पूरा करने का गौरव वाजपेयी के नाम ही है। वाजपेयी कितने लोकप्रिय नेता हैं, इसके बारे में किसी को कुछ बताने की जरुरत नहीं है। वाजपेयी के सामने कई ऐसे मोड़ आए हैं जब उन्हें गजब का साहस दिखाते हुए देश के हित के लिए आगे आकर काम करना पड़ा।
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इन्ही में से एक मामला था प्रमोद वेंकटेश महाजन का। प्रमोद वाजपेयी के बेहद अजीज थे। एक समय ऐसा भी था जब अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने इस सबसे अजीज मंत्री का इस्तीफा लिया था। दरअसल, जब 1999 में एनडीए की सरकार बनी और टिकी, तब प्रमोद चाहते थे कि उन्हें संचार मंत्रालय मिले लेकिन तब उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी (IT)और संसदीय कार्य का ज़िम्मा तो मिला मगर उनकी मनपसंद मंत्रालय नहीं मिल पाई।
अटल बिहारी वाजपेयी बखूबी निभाते थे अपनी जिम्मेदारी
हालांकि उन्होंने मिली जिम्मेदारी को बखूबी निभाया लेकिन 2 सितंबर 2001 को वाजपेयी द्वारा तीसरी बार अपने कैबिनेट में फेरबदल करने के बाद संचार मंत्री का कार्यभार मिल गया। ऐसे में प्रमोद का सपना पूरा हो गया। ये तो सब जानते हैं कि प्रमोद एक डैशिंग छवि वाले नेता थे। यही नहीं, तब मंत्रालय तेज़ी से प्रमोद के अंडर में काम कर रहा था।
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मगर ट्विस्ट तब आया जब सितंबर 2002 में रिलायंस इन्फोकॉम ने तीन कंपनियों – ‘फेयरएवर ट्रेडर्स’, ‘सॉफ्टनेट ट्रेडर्स’ और ‘प्रेरणा ऑटो’ को कुल एक करोड़ शेयर ट्रांसफर कर दिए। इस दौरान हर शेयर की कीमत एक रुपए थी। सबसे बड़ी बात ये थी कि इन तीनों कंपनियों का संबंध आशीष देवड़ा से था।
इसके बाद जिस बात का डर था, वही हुआ। इस मामले के तूल पकड़ते ही प्रमोद के इस्तीफे की मांग होने लगी। ऐसे में प्रधानमंत्री वाजपेयी को 2003 में प्रमोद का इस्तीफा लेना पड़ा। तब वाजपेयी ने अपने मंत्रिमंडल में विस्तार करते हुए प्रमोद महाजन को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता बना दिया गया।
क्या था मामला?
जिस मामले में प्रमोद फंसे से, उसमें उनके बेटे-बेटी और दामाद भी शामिल थे। दरअसल, रिलायंस इन्फोकॉम द्वारा फेयरएवर ट्रेडर्स’, ‘सॉफ्टनेट ट्रेडर्स’ और ‘प्रेरणा ऑटो’ को कुल एक करोड़ शेयर ट्रांसफर करने के मामले में सबसे बड़ा नाम जो उभरकर आया वो आशीष देवड़ा था।
आशीष देवड़ा ही प्रमोद महाजन के बेटे-बेटी और दामाद यानी पूनम महाजन, राहुल महाजन (प्रमोद के बेटी-बेटे) और आनंद राव (पूनम के पति) संग मिलकर इंफोलाइन’ नाम से एक कंपनी चलाता था। ऐसे में शेयर ट्रांसफर का मामला सामने आया था, तब कहा गया कि प्रमोद महाजन से बतौर संचार मंत्री मिले ‘फायदे’ का एहसान चुकाने के लिए रिलायंस इंफोकॉम ने शेयर दिए।