मुंबई: पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से ताल्लुक रखने के शक में अरेस्ट किए गए पांचों युवकों ने कोर्ट में अपना गुनाह कबूल कर लिया। एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने उन्हें 2012 में नांदेड़ से पकड़ा गया था। आरोप है कि ये सभी हिंदू नेताओं और कुछ जर्नलिस्ट्स की हत्या की साजिश रच रहे थे।
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आरोपियों के नाम मोहम्मद मुजम्मिल, मोहम्मद सादिक, मोहम्मद इलियास, मोहम्मद इरफान और मोहम्मद अकरम हैं। पांचों ने मुंबई में स्पेशल एनआईए जज वीपी अव्हाड के सामने अर्जी देकर अपना गुनाह कबूल किया।
एटीएस ने आरोपियों के पास से हथियार भी बरामद किए थे। बाद में मामले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को सौंपी गई थी।
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जांच एजेंसी का दावा है कि आरोपी सऊदी अरब में बैठे अपने आका के इशारे पर नांदेड़ और हैदराबाद के कुछ हिंदू नेताओं का कत्ल करना चाहते थे, जिससे माहौल खराब किया जा सके। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए, आर्म्स एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।
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आरोपी मैक्सिमम पनिशमेंट से ज्यादा वक्त जेल में बिता चुके हैं। कहा जा रहा है कि आरोपियों को लगता है कि गुनाह कबूल कर लेने से उन्हें सजा सुना दी जाएगी, जो कि वह पहले ही पूरी कर चुके हैं। इस तरह जल्द ही उनकी रिहाई हो सकती है। मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
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बचाव पक्ष के वकील शरीफ शेख के मुताबिक, इस मामले में आरोपियों को मैक्सिमम जितनी सजा हो सकती है, उतना वक्त वे जेल में गुजार चुके हैं। ऐसे में उन्होंने हमारी मर्जी के खिलाफ गुनाह कबूल करने का फैसला किया। लिहाजा, हमने खुद को इस केस से अलग कर लिया।
जमीयत-ए-उलेमा, महाराष्ट्र की ओर से पैरवी कर रहे बचाव पक्ष के एक और वकील खान अब्दुल वहाब ने कहा कि आरोपी हमारी बात नहीं मान रहे थे, इसलिए अदालत की इजाजत से हमने खुद को केस से अलग कर लिया।