Bhagwat Geeta Gyan: श्रीमद्भगवद्गीता- देह के संबंध से विरत है आत्मा

Bhagwat Geeta Gyan: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने जीवन के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया है आइये विस्तार से समझते हैं क्या है जीवन का सार।;

Update:2025-03-15 12:58 IST

Bhagwat Geeta Gyan (Image Credit-Social Media)

Bhagwat Geeta Gyan: यह पुरुष स्वरूप से नित्य है, सब जगह परिपूर्ण है, स्थिर है, अचल है, सदा रहने वाला है। ऐसा होता हुआ भी जब यह प्रकृति और उसके कार्य शरीर की तरफ दृष्टि डालता है अर्थात् उनके साथ अपना सम्बन्ध मानता है, तब इसकी 'उपद्रष्टा’ संज्ञा हो जाती है।

यह हरेक कार्य के करने में सम्मति, अनुमति देता है। अत: इसका नाम 'अनुमन्ता’ है।

यह एक व्यष्टि शरीर के साथ मिलकर, उसके साथ तादात्म्य करके अन्न-जल आदि से शरीर का पालन-पोषण करता है; शीत-उष्ण आदि से उसका संरक्षण करता है। अत: इसका नाम 'भर्ता’ हो जाता है।

यह शरीर के साथ मिलकर अनुकूल परिस्थिति के आने से अपने को सुखी मानता है और प्रतिकूल परिस्थिति के आने से अपने को दु:खी मानता है। अत: इसकी 'भोक्ता’ संज्ञा हो जाती है।

यह अपने को शरीर, इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि तथा धन, सम्पत्ति आदि का मालिक मानता है। अत: यह 'महेश्वर’ नाम से कहा जाता है।

पुरुष सर्वोत्कृष्ट है, परम आत्मा है, इसलिये शास्त्रों में इसको 'परमात्मा’ नाम से कहा गया है। यह देह में रहता हुआ भी देहके सम्बन्धसे स्वत: रहित है। आगे इसी अध्याय के इकतीसवें श्लोकमें इसके विषय में कहा गया है कि यह शरीर में रहता हुआ भी न करता है और न लिप्त होता है।

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