'Red Alert' issued in Kerala: पर्यावरणीय बदलाव ने दिखाया अपना विकराल रूप, केरल के लोग हो रहे बुरी तरह प्रभावित, 'रेड अलर्ट' जारी
'Red Alert' issued in Kerala: केरल में पर्यावरण अपना विकराल रूप दिखा रहा है वहीँ पराबैंगनी किरणें उच्च स्तर पर हैं ऐसे में वहां रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। आइये जानें ऐसे में क्या करें।;
'Red Alert' issued in Kerala (Image Credit-Social Media)
'Red Alert' issued in Kerala: लगातार हो रहे पर्यावरणीय बदलाव के चलते प्रकृति समय समय पर अपना रौद्र रूप दिखाती रहती है। इसी तरह का ताजा मामला केरल के पलक्कड़ जिले में देखने को मिला, जहां पराबैंगनी (यूवी) विकिरण के अत्यधिक उच्च स्तर के कारण रेड अलर्ट जारी किया गया है। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने बताया कि पलक्कड़ और मलप्पुरम जिलों के थ्रीथला और पोन्नानी में स्थापित यूवी मीटरों ने यूवी सूचकांक 11 दर्ज किया है, जो अत्यंत उच्च श्रेणी में आता है।
पराबैंगनी विकिरण और यूवी सूचकांक
पराबैंगनी विकिरण सूर्य से आने वाली एक प्रकार की अदृश्य किरणें हैं, जो मनुष्य की त्वचा, आंखों और प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। यूवी सूचकांक एक माप है जो सूर्य की यूवी किरणों की तीव्रता को दर्शाता है। यह सूचकांक 0 से 11+ तक होता है, जहां 11 या उससे अधिक का मान अत्यंत उच्च जोखिम को दर्शाता है। इस स्तर पर, बिना सुरक्षा के सूर्य के संपर्क में आने से कुछ ही मिनटों में त्वचा जल सकती है, और आंखों को नुकसान हो सकता है।
रेड अलर्ट का महत्व
रेड अलर्ट जारी करने का अर्थ है कि स्थिति अत्यंत गंभीर है, और जनता को तुरंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यूवी सूचकांक 11 के स्तर पर, बिना सुरक्षा के सूर्य के संपर्क में आना अत्यंत खतरनाक हो सकता है, जिससे त्वचा कैंसर, आंखों की बीमारियां और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
प्रभावित समय अवधि
अधिकारियों के अनुसार, सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच यूवी विकिरण का स्तर सबसे अधिक होता है। इसलिए, इस अवधि के दौरान सीधी धूप में बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है।
खतरे की चपेट में आने वाले समूह
विशेष रूप से निम्नलिखित समूहों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है:
बाहरी कार्यों में लगे लोग:
जैसे निर्माण कार्यकर्ता, किसान, मछुआरे आदि, जो लंबे समय तक बाहर काम करते हैं।
बाइक सवार और पर्यटक: जो बिना उचित सुरक्षा के धूप में यात्रा करते हैं।
त्वचा या आंखों की बीमारियों वाले व्यक्ति:
जिनकी त्वचा या आंखें पहले से संवेदनशील हैं।
कैंसर मरीज और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग:
जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
सुरक्षा उपाय:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी है:
पूरे शरीर को ढकने वाले सूती कपड़े पहनें:
जो त्वचा को सीधे सूर्य के संपर्क से बचाते हैं।
टोपी, छाता और सनग्लास का उपयोग करें:
जो सिर, चेहरे और आंखों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
सनस्क्रीन का उपयोग करें:
जिसमें उच्च एसपीएफ़ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) हो, ताकि त्वचा को यूवी किरणों से बचाया जा सके।
धूप में बाहर निकलने से बचें:
विशेष रूप से सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच, जब यूवी विकिरण का स्तर सबसे अधिक होता है।
परावर्तक सतहों से सावधानी:
पानी, रेत और अन्य परावर्तक सतहें यूवी किरणों को परावर्तित करती हैं, जिससे विकिरण का प्रभाव बढ़ सकता है। इसलिए, समुद्र तट, झील या नदी के किनारे समय बिताते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें।
भविष्य की संभावनाएं:
जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत की कमी के कारण यूवी विकिरण के स्तर में वृद्धि हो सकती है। इसलिए, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस दिशा में जागरूकता फैलाने और आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। पलक्कड़ जिले में जारी यह रेड अलर्ट एक गंभीर चेतावनी है, जो हमें सूर्य की पराबैंगनी किरणों के खतरों के प्रति सचेत करता है। सभी नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे उपरोक्त सुरक्षा उपायों का पालन करें और अपनी सेहत का ध्यान रखें। इसके अलावा, सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों को चाहिए कि वे जनता को जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाएं, ताकि इस प्रकार की स्थितियों में लोग सही कदम उठा सकें।