Bhagwat Geeta Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं

Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया उसका पूरा वर्णन इस ग्रन्थ में हैं, आइये एक नज़र डालते हैं इसमें लिखे कुछ भगवत गीता कोट्स पर।

Newstrack :  Network
Update:2024-07-07 07:11 IST

Bhagwat Geeta Quotes (Image Credit-Social Media)

Bhagwat Geeta Quotes: हिन्दुओं के सबसे प्रमुख ग्रंथों ने भगवत गीता का है। इसे किसी मनुष्य ने नहीं बल्कि ये स्वयं भगवान् श्री कृष्ण की वाणी है। महारभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र की भूमि पर श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था। इससे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। जब अर्जुन ने निराशा से भरकर श्री कृष्ण से पूछा कि वो अपने ही घर-परिवार के सदस्यों और गुरुजनों पर कैसे तीर चलाएं तब उन्हें श्री कृष्ण ने उन्हें जीवन के कटु सत्य से अवगत कराया। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता कोट्स पर।

भगवत गीता कोट्स (Bhagwat Geeta Quotes)

  • अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।
  • कर्म योग वास्तव में एक परम रहस्य है।
  • कर्म उसे नहीं बांधता जिसने काम का त्याग कर दिया है।
  • बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए।
  • जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म। जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति।
  • यद्द्यापी मैं इस तंत्र का रचयिता हूँ, लेकिन सभी को यह ज्ञात होना चाहिए कि मैं कुछ नहीं करता और मैं अनंत हूँ।
  • जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।
  • वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है।
  • मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय। किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ।
  • जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन करें।
  • मैं ऊष्मा देता हूँ, मैं वर्षा करता हूँ और रोकता भी हूँ, मैं अमरत्व भी हूँ और मृत्यु भी।
  • बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते।
  • जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।
  • हे अर्जुन!, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता।
  • स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है।
  • केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है।
  • मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।
  • ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।
  • वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।
  • वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं।
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