Bhagwat Geeta Quotes: भगवन श्री कृष्ण कहते हैं इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है
Bhagwat Geeta Quotes: भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को के ज्ञान की बातें बताईं हैं आज हम उसी ज्ञान के सागर से कुछ बूंदें आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता कोट्स पर।
Newstrack : Network
Update:2024-07-06 09:06 IST
Bhagwat Geeta Quotes: श्रीमद्भगवत गीता, हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है जिसमे जीवन से जुड़ी कई बातें बताई गयी है जिन्हे अपनाकर आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। इसमें वर्णित कई बातें जीवन को सही रास्ता दिखाती है जिसका ज्ञान महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म से जुड़ी कई बातें लिखी हैं। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता कोट्स पर।
भगवत गीता कोट्स (Bhagwat Geeta Quotes)
- क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
- मन की गतिविधियों, होश, श्वास और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।
- ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है।
- जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
- अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।
- आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशाषित रहो। उठो।
- मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
- श्रीमद् भगवद् गीता के अनमोल वचन: नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच।
- इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है।
- मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
- लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।
- प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं।
- निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है।
- व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
- उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा। जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।
- ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए।
- हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है।
- जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।
- अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है।
- सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ। मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। शोक मत करो।
- किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।
- मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं।
- मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।
- प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता।
- मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है।
- हे अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं जो स्वर्ग के द्वार के सामान है।
- भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी।
- बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।
- आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ न मध्य न अंत दिखाई दे रहा है।
- जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है।
- मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।
- तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं, और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो। बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।
- कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम, या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये।
- कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।
- हे अर्जुन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं। मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।
- वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।