Dhanteras 2023: धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन, जानिए इसका महत्त्व
Dhanteras 2023: इस साल धनतेरस पर आप क्या खरीदने वाले हैं? अगर आपने अभी तक कुछ नहीं सोचा है तो इससे पढ़ने के बाद आपका विचार बदल सकता है। आइये जानते हैं इस दिन बर्तन खरीदना इतना ज़रूरी क्यों समझा जाता है।
Dhanteras 2023: दिवाली, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, कहते हैं इसी दिन भगवान् राम लंकापति रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे। उनके स्वागत में सभी अयोध्यावासियों ने पूरी नगरी को दीयों से सजाया था। तभी से ये दिन सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है। इतना ही नहीं दिवाली का ये त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन पड़ता है। धनतेरस को हिंदू आस्था में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। लोग इस दिन सोना चांदी या बर्तन खरीदते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा ज़रूरी क्यों होता है आइये जानते हैं।
दिवाली पर क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन
कई ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि धनतेरस के दिन नए बर्तन खरीदने की हिन्दू परंपरा है। इस प्रथा के पीछे की मान्यता भगवान धन्वंतरि की कहानी है। जिन्होंने अपने जन्म के समय अपने हाथों में कलश रखा था। परिणामस्वरूप, धनतेरस पर बर्तन खरीदना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, और इस दिन कलश खरीदने का विशेष महत्व है।
धनतेरस को भव्यता के साथ मनाया जाता है क्योंकि, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ये भगवान धन्वंतरि के जन्म का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष दिन पर, लोग आशीर्वाद पाने और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस प्रथा से घर में धन, समृद्धि और खुशियों में वृद्धि होती है। इन्हीं शुभ ऊर्जाओं को लाने के लिए धनतेरस मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त, धनतेरस पर कुछ विशेष प्रकार के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, साथ ही आपको बता दें कि इस दिन कौन से बर्तन सबसे ज़्यादा भाग्यशाली माने जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथ में कलश लिए हुए समुद्र से निकले थे। साथ ही इस मान्यता के अनुसार भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है।
यही एक कारण है कि धनतेरस पर अनुष्ठान के हिस्से के रूप में भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस शुभ दिन पर, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा करने की प्रथा है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ 10 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे हो रहा है। और 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे तक है। । जिसका मतलब है कि प्रदोष काल 10 नवंबर को होगा, जिससे इस वर्ष धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को पड़ेगा। ये धनतेरस के त्योहार के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि है।